आप के साथ इस तरह से मैंने शायद तीन चार अनुभव को साझा किया है ।अब तक मेरे कई मित्रो ने मुझे इस बात के लिए टोक दिया कि तुम बिहार को लेकर पक्षपातपूर्ण हो रही हो ।अगर ऐसा है तो मै बस यही कहना चाहती हूँ कि मेरे विचारो में मिथ्या कुछ भी नही । यात्रा के दौरान ट्रेन मे एक सरदार जी के साथ हमारे यहाँ के मंदिरों को लेकर बात चली ।उनका कहना था कि आप के राज्य के मंदिरों मे बङी गंदगी है आपका स्थान किसी भी दक्षिण भारतीय मंदिरों की सफाई व्यवस्था के मुकाबले नगण्य है ।मेरा कहना था कि मै मनाती हूँ कि हमारे मंदिरों मे अव्यवस्था है लेकिन किसी भी अन्य राज्य के मंदिर से हमारी तुलना नही की जा सकती ।मेरी जानकारी के अनुसार फल फूल बेलपत्र और नारियल के साथ पूजा शायद हमारे मंदिरों मे की जा सकती है ।देश के अन्य हिस्से के मंदिरों मे दर्शन भी काफी दूर से किया जा सकता है ।उसके बावजूद गंदगी के लिए मेरा ये तर्क शायद सबके गले नही उतरे ।तो फिर मैं अपने राज्य के पक्ष में कहना चाहती हूँ कि अगर परिवार के किसी सदस्य में कोई ऐब हो तो उसे सुधारने की कोशिश करते है ना बजाय कि उस की पोल खोल करे ।
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