Tuesday 1 November 2022
महापर्व छठ बीत गया।संयोगवश इस वर्ष घाट से लेकर शहर तक में प्रशासन के अच्छे इंतजाम को देखने का मौका मिला ।घाट में सुरक्षा और सफ़ाई की व्यवस्था के साथ साथ डेंगू के मद्देनजर लगातार छिड़काव किए जा रहे थे। आश्चर्य की बात यह है कि जिन जगहों पर कभी दिन में झाड़ू नहीं लगाया जाता है वहां रात के डेढ़ बजे झाड़ू लगाया जा रहा था।खैर ये तो सरकारी काम जिसमें आम जनता का कोई दखल नहीं हो सकता है। यहां मेरा ध्यान पटना के नागरिकों की ओर आकर्षित होता है।जहां उन चारों दिन पूरे शहर के लोग भक्ति भावना में डूब कर एक दूसरे में इतना अच्छा सामंजस्य बना कर रखते हैं जिससे चारों ओर पूरी शांति का माहौल बना रहता है। न अनावश्यक झगड़ा न ही सड़कों पर एक दूसरे से ओवर टेक करने की होड़ और न ही हर जगह थूकने जैसी गंदी आदतें। लेकिन इस तरह की सारी शान्ति बस इन्हीं चारों दिन ।त्योहार खत्म होते ही हम फिर से उसी रूप में आ जाते हैं । अब त्योहार तो हमारे जीवन में मात्र कुछ ही समय के लिए आ सकता है लेकिन कुछ उसी तरह का जीवन यापन तो हम साल भर कर सकते हैं न ताकि हमारे शहर की गिनती देश के शांत और साफ शहर में की जा सके कुछ इस तरह ....."ये शहर है अमन का यहां की फिज़ा है निराली यहां तो बस शांति शांति है".... ☺️😊
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