Friday 25 September 2020

कुछ साल पहले मैंने एक छोटी सी कहानी पढ़ी थी ।ये कहानी एक महंत और उनके शिष्यों के विषय में है । जिसमें गुरु जी शिष्यों को तीन खोपड़ियों की मदद से जीवन का एक पाठ पढ़ाते हैं ।पहली खोपड़ी  के कान में गुरुजी एक पतली लकड़ी को डालते हैं जो कि उसके दूसरे कान से निकल जाता हैं उसकी तुलना गुरु जी ऐसे मनुष्य से करते हैं जो किसी भी बात को सुनकर तुरंत भूल जाता हैं उनके अनुसार इस तरह के लोग बेकार हैं ।दूसरी खोपड़ी के कान में गुरुदेव लकड़ी डालते हैं जो उसके मुंह से निकल जाता हैं उनके अनुसार इस प्रकार के लोग किसी के कहे गए बात को सुनकर तुरंत उसे दूसरों पर प्रकट कर देते हैं  ,गुरू जी के अनुसार ऐसे लोग बेहद खतरनाक होते हैं तीसरी खोपड़ी में लकड़ी डालने पर वो उसके गर्दन से निकल जाता है अर्थात वैसे मनुष्य किसी भी बात को सुनकर अपने पेट मे रख लेते हैं जो उन गुरुदेव के अनुसार लाख टके का आदमी होता है ।
आज मैं अपने इस पोस्ट में दूसरे तरह के खतरनाक लोगों के विषय में कुछ कहना चाहती हूं ।ये बात बहुत ही साधारण है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम उतने ही असाधारण होते हैं ।कहते हैं महाभारत में  युधिष्ठिर ने अपनी माता कुंती के बात छिपाए जाने के कारण समूची नारी जाति को कोई भी बात को  न छिपा सकने का श्राप दिया था जिसका परिणाम हम अक्सर अपने मित्रों और संबंधियों में पाते हैं । यूं तो इसे