Tuesday 1 October 2019

अगर हम अपने आप को इतिहास में ले जाए तो जरा याद करें मुंशी प्रेमचंद की कहानी "शतरंज के खिलाड़ी " को। जिक्र है उसमें अवध के दो नवाबों  का और उस समय की सामाजिक स्थिति का। एक पंक्ति कि अगर भिखारी को दो पैसे मिलते थे तो वो रोटी न खा कर अफ़ीम खरीदना ज्यादा पसंद करता था। भले ही ये कहानी काल्पनिक थी पर कमोबेश यही स्थिति इस समय की अर्थव्यवस्था की कही जा सकती है उस समय सभी लघु और कुटीर उद्योगों को इंग्लैंड की कंपनी बर्बाद कर रही थी आज उनका स्थान मल्टी  नेशनल कंपनियों ने ले लिया है। देश में बेरोज़गारी अपने चरम सीमा पर पहुँच रही है पिछले दिनों लगतार ऑटो मोबाइल कंपनियां छटनी कर रही है। वही दूसरे नंबर पर इसका शिकार textile industry है इस सबंध में अगर nitma (north india textile mills association की माने तो २०१९ के अप्रैल जून में ३४% सूती यार्न की गिरावट आई और ३५० करोड़ अमरीकी डॉलर का नुक्सान हुआ। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उद्योग की अतिरिकत सहायता के बजाय २०१८ -१९  में बजट घटा कर ६९४३ करोड़  से घटाकर ५८३१ करोड़ कर दिया। गौर तलब है कि भारत में  खेती के बाद ये सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला क्षेत्र है। पिछले दिनों एक  आंकड़े के मुताबिक २०१८-२०१९ में   INNERWEAR  का कारोबार अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच चुका  है UNDERGARMENTS बेचने वाली चार शीर्षस्थ कंपनियों का जून तिमाही का प्रदर्शन एक दशक के सबसे निचले दौर पर है। जॉकी जैसे मँहगे  ब्रांड से लेकर लोकल अंतर्वस्त्र बनाने वाले भी इससे अछूते नहीं है। सभी अर्थशास्त्री  और  बुध्धिवेटा देश की भोजन वस्त्र और आवास जैसे मूलभूत जरूरत पर अपनी चिंता जाहिर कर इसका समाधान के लिए मीटिंग और रिपोर्ट्स तैयार कर रहे होते है तभी AMAZON नाम की एक विदेशी कंपनी जो की लोगो को ऑनलाइन सेवा प्रदान करती है उसने अपनी AMAZON  GREAT INDIAN FESTIWAL SALE की घोषणा करती है उसमे और तो और मोबाइल के दामों में भारी  गिरावट का ऐलान  किया जाता है और इसके साथ उसी रोटी के बदले अफीम खरीदने पर फिर से भारतीय आमादा हो जाते हैं। मोबाइल को इंडिया लाने की बात पर स्वर्गीय धीरू भाई अम्बानी ने देश से पोस्ट कार्ड बंद करने की बात कही थी लेकिन शायद आज उनकी आत्मा धन्य हो गयी हो क्योंकि  आज भारतीयों ने अपने अंतर् वस्त्र का त्याग कर मोबाइल को चुनना ज्यादा पसंद किया है