जहिया हम अपन छोट बेटी मीठी(विधि नित्या) क रांची कSt.mary's nursery school म एडमिशन लेल ला गेलियन त ओतुका प्रिंसिपल हमरा स इ आग्रह केलैंन जे सेलेक्शन भेला क बाद हम अपन बच्चा स घर म सेहो इंग्लिश करि ।हम तत्काल हुनकर गप काटि क कहलियेन जे हमरा स इ बात सम्भव नहि अछि किया त हमर घर क बातचीत क माध्यम मैथिली अछि आ अखन त हमर बेटी क त हिंदी सेहो ठीक स नै अबैत छै ।हम हुनका कहलियन्हि जे अपन मातृभाषा क ज्ञान कोनो बच्चा क मायेटा दअ सकैए छै ।घर जा क हम दुनु प्राणी एक बेर फेर स बिचार केलौ जे कि नीक स्कूल म प्रवेश क नज़रिये स घर पर बच्चा स हिंदी बा अंग्रेजी म गप करि या अपन सैकड़ों बरख पुरान मैथिली सिखाबि ।अंत म कोनो भाषा क अतिरिक्त ज्ञान बेटी क हित म हेतइ से सोचि क अपन पुरान ढर्रा चालू रखलौ ।हमर स्पष्टवादिता कहि हमर बेटी क addimission म बाधक नै भअ जै अई बात स हम दुनु गोटा सशंकित छेलौ परंच हमर गप बुझ्याए ओइ प्रिंसिपल क नीक लगलैन आ बेटी क एडमिशन भेट गेलै ।आइ हमर दुनु बेटी हिंदी आ अंग्रेजी क संगे संगे मैथिली सेहो खूब नीक स बजेए आ कएक बेर ओहेन धिया पूता क देख क आनंदित होइत रहिये जे मात्र अपन माय क गलती स एकटा भाषा क ज्ञान स वंचित रहि गेल ।सब बेर जेका हमरा लिखैत काल म अपन बचपन याद आबि जाइये जखन हम तीनू भाइ बहीन लंबा छुट्टी क बाद गाम स रांची जाइ आ हिंदी बिसरि क कोनो हिंदीभाषी क देख क लजा जाए ।एहेन नै छै जे मैथिली हमर सब क बपौती अछि हमर सासुर आ नैहर क परिवार म अनेकों आन जाति क कनिया सब एली आ कोशिश कअ क मैथिली सीख लेलैथ आ हम सब शहरीकरण क चपेट म आबि क बच्चा क एकटा भाषा क ज्ञान स वंचित करै छियै ।कोनो अन्जान जगह पर अंचिह्हार लोक क भाषा केना एक सूत्र म बान्हि लई छै एकर उदाहरण विदेशों म कएक बेर भेट जाइ छै आ ओतय अनजान लोक मात्र भाषा दुआरे सहायता सेहो करै छै ।आइ हम सब दशमी छोरि क नवरात्र मनबई छी बच्चा सब माछ नै खाय चाहेये जखन कि दरभंगा महाराज अपन लोगो माछ क बनेने रहैत ।कएटा एहेन पाबइन आ विध अपना सब छोरने जाए छी लेकिन कहियो अहि विध क बारे म बरियाती म बिना नोन क तरकारी क चर्चा स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन अपन आत्मकथा म सेहो केने रहैथ ।
हमर पूरा लेख क नकारात्मक विचार क बाद हम चर्चा करअ चाहब अपन सासुर दुर्गागंज क जतय मैथिली क आइयो एकटा सम्मानित स्थान छै एतुका लेखिका क साहित्य अकादमी क सर्वोच्च पुरस्कार स पुरस्कृत कएल गेल छैन ।इ एहेन गामछी जतय मैथिल क संगे बंगाली , मुस्लिम आ आन जाति क लोक मैथिली बजेए ।
Monday 24 September 2018
Monday 17 September 2018
कभी किसी के मुंह से सुना था जिंदगी में माँ बाप के अलावा हर एक चीज़ दुबारा हासिल की जा सकती है इस बात को पापा के जाने के बाद ही महसूस किया । लगभग एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी पता नहीं हर वक़्त एक ख़ालीपन ।पता नहीं क्यूँ अपने हर रिश्तेदार,दोस्त और मिलने वालों से नज़र मिलते ही एक उम्मीद ,शायद पापा के बारे में जानना चाहे और अगर उसने उस बारे कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो एक निराशा । तभी याद आती है एक कहानी जिसमें एक महात्मा ने एक माँ जो जवान बेटे के चल बसने पर दुःख से पागल हो रही थी उसे अपनी शक्ति से बेटे के दुबारा जीवित करने का विश्वास दिलाया लेकिन शर्त यह थी कि वो उन पाँच घरों से एक मुट्ठी चावल ले आए जिस घर में कोई मौत नहीं हुई हो ।नतीजा निशब्द । ऐसे में अपने आप से किया गया एक वादा कि यथा संभव हर एक के दुःख को बांटने की कोशिश करूँ क्योंकि तकलीफ तो तब समझ में आती है जब खुद पर बीतती है।