Monday, 17 September 2018

कभी किसी के मुंह से सुना था जिंदगी में माँ बाप के अलावा हर एक चीज़ दुबारा हासिल की जा सकती है इस बात को पापा के जाने के बाद ही महसूस किया । लगभग एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी पता नहीं हर वक़्त एक ख़ालीपन ।पता नहीं क्यूँ अपने हर  रिश्तेदार,दोस्त और मिलने वालों से नज़र मिलते ही एक उम्मीद ,शायद पापा के बारे में जानना चाहे और अगर उसने उस बारे कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो एक निराशा । तभी याद आती है एक कहानी जिसमें एक महात्मा ने एक माँ  जो जवान बेटे के  चल बसने  पर दुःख से पागल हो रही थी उसे अपनी शक्ति से बेटे के दुबारा जीवित करने का विश्वास दिलाया लेकिन शर्त यह थी कि वो उन पाँच घरों से एक मुट्ठी चावल ले आए जिस घर में कोई मौत नहीं हुई हो ।नतीजा  निशब्द । ऐसे में अपने आप से किया गया एक वादा कि यथा संभव हर एक के दुःख को बांटने की कोशिश करूँ क्योंकि तकलीफ तो तब  समझ में आती है जब खुद पर बीतती है।

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