Monday 6 January 2020

बीते कुछ दिनों से जब भी अपार्टमेंट के गेट से निकलती थी लगभग दर्ज़न भर पिल्ले को इधर उधर दौड़ता हुआ देखकर कोफ्त सी होती थी और तो और जैसे जैसे रात की ठंड बढ़ती वैसे वैसे समवेत स्वर में उनका क्रंदन वातावरण  को  मनहूस बनाता था ।कुल मिला कर  मैं ही कमोबेश सभी उनसे परेशान थे ।पिछली पूरी ही रात शान्ति से गुजरी ।आज सुबह जब सब्जी लेने नीचे गई तो देखा कि संभवत रात किसी तीव्र गति से आने वाली गाड़ी ने एक पिल्ले को अपना निशाना बनाया और उसके मृत अवशेष के पास थरथराती हुई जननी खड़ी थी । श्वान कुल की परंपरा के अनुसार उसके पिता का कोई पता नहीं लेकिन माँ तो माँ होती है फिर चाहे वो इंसान हो या किसी प्राणी की ।यहां गौर करने वाली बात है कि इस घटना के बाद लगातार स्वच्छंद विचरण करने वाला पिल्लों को समूह न जाने कहां गायब हो गया  अर्थात उन्होंने गलतियों से सबक लेकर जीना सीख लिया बस हम मनुष्य ही ऐसे हैं कि कई कई चेतावनी मिलने के बाद कभी नहीं सुधरते ।