Wednesday 25 April 2018

कुछ दिन पहले किसी इंग्लिश मैगज़ीन में अद्भुत तस्वीर देखा विषय था ,जब भगवान औऱ इंसान एक दूसरे से मिले तो दोनों ने एक दूसरे को my creator कह कर गले लगा लिया अर्थात मेरे सृजनकर्ता । ये तो शाश्वत सत्य है कि हमारे सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना ईश्वर द्वारा की गई है अब रही ईश्वर के मुख से इंसान को अपने निर्माणकर्ता के रूप में पुकारे जाने की बात ।इस बात को विज्ञान भी मान चुका है कि आदि काल से  एक ऐसी अदृश्य शक्ति है जो हमारे साथ जीवनपर्यंत रहती है और जन्म मृत्यु के साथ साथ पूरे संसार का संचालन अपने ही हाथों से करती है ।  लाख तरक्की के बावजूद विज्ञान  महाशक्ति के समक्ष अकसर बेबस  साबित हो जाता है।अब बात आती है  उस शक्ति को नाम देने की तो कभी हम उसे भगवान कहते हैं ,कभी अल्लाह, कभी वाहे गुरु और कभी ईसा मसीह।अपनी कल्पनाशीलता के अनुसार मूर्ति का रूप देते हैं या कभी उन्हें क्रॉस कह कर सर झुकाते हैं ।संभव है इसी कल्पनाशीलता को सृजनकर्ता के नाम से पुकारा गया हो । देखा जाए तो  हर धर्म की गूढ़ता में एक ही बात ।लेकिन धर्म की आड़ ने युगों से  टकराव को जन्म दिया है और ये आने वाले कई दशकों तक सत्ता जीतने की पूरी गारंटी देती रहेगी ।अपनी माँ के मुंह से सुना है कि मेरे नानाजी कल्लर भोज किया करते थे शायद इसके पीछे दरिद्रनारायण की अवधारणा रही हो ।अकसर मेरी  सासु माँ कहा करती हैं कि किसी के मन को तृप्त करने से बड़ा तीर्थ कोई नहीं ।नहीं जानती क्या सच है या भगवान किस तीर्थ और कितने समय  की पूजा से प्रसन्न होते हैं क्योंकि मुझे तो ऐसा लगता है जो खुशी किसी भूखे बीमार और जरूरतमंद को खुश करके ही मिलती है वो घंटों की पूजा और व्रत से नहीं ।

Thursday 19 April 2018

zएक कहावत है पीनेवालों को पीने का बहाना चाहिए उसी तरह मैं कहती हूँ रोनेवालों को रोने का बहाना चाहिए फिर चाहे वो जिस प्रकार का रोना हो ।कभी पैसों की तंगी का रोना हो,बच्चों की पढ़ाई का रोना हो ,बुढापे में बच्चों की बेरुखी का रोना हो,पारिवारिक जिम्मेदारियों या उनकी बीमारियों का रोना हो ।आपके बस एक बार  पूछने के साथ उनका रोना शुरू । बैठे बैठे इतनी परेशानियों को सुनते सुनते अगर आप अमुक आदमी के पास एक घंटा बैठ गए तो वहाँ से हटने के कम से कम एक घंटे बाद तक आप पूरी तरह  नकारात्मक ऊर्जा से भरे होंगे ।
मेरी रिश्ते की एक देवरानी बहुत सुंदर नहीं होने के बाद भी अपनी सदाबहार और अलमस्त हँसी के कारण मुझे प्रिय है उसका  चेहरा  भले ही सुंदरता की कसौटी पर खरा न उतरे पर अपने हंसी की मीठी चाशनी से वो अनायास ही सामने वाले को डुबो देगी ये मैं शर्तिया तौर पर कह सकती हूं ।मैं जिंदगी में व्यक्तिगत तौर पर दो लोगों से बहुत प्रभावित हूँ ,पहले मेरे पापा और दूसरी मेरी सासु माँ ।वैसे  वर्तमान में दोनों ही शारीरिक रूप से काफी कष्ट में हैं लेकिन हिम्मत और जिंदादिली में किसी से कम नहीं ।मेरे पापा की एक आंख में बिल्कुल रोशनी नहीं है और दूसरी में बहुत कम इसके साथ लगभग बीस साल से वो हृदय रोगी होने के  बावजूद पूरी ताकत से अपनी कमजोरियों को शिकस्त दे रहे हैं पिछले साल गंभीर रूप से बीमार थे लेकिन डॉक्टर के ये पूछने पर कि कैसे हैं ?छूटते ही जबाब दिया बिल्कुल ठीक हूँ ,मेरी ओर इंगित कर कहा ये घबड़ाकर मुझे यहाँ ले आई जबकि वो कई दिनों से बेहद बेचैन थे और डॉक्टर ने उनसे परे हटकर हमसे कहा ये फिलहाल बेहद तकलीफ में हैं । उसी तरह जब अपनी सासु माँ को देखती हूँ मन वेदना से भर उठता है कभी बड़े से कुटुंब का काम खुशी खुशी निपटाने के साथ साथ बाज़ार से हमारी फरमाइशी चीज़ों को लाने वाली आज दोनों पैरों से इस कदर लाचार है कि घर में भी वॉकर की सहायता से चलती है फिर भी इतनी जिंदादिल कि किसी विवाह या पर्व त्योहार में मात्र अपनी उपस्थिति से  वातावरण की बोझिलता खत्म कर दे ।हमसब के साथ वो खुद भी जानती हैं कि उनके पैर अब ठीक नहीं हो सकते लेकिन हमेशा उनसे सुनती हूँ कि अगर मेरे पैर ठीक हो जाए तो मैं जरूर हर एक काम  कर सकती हूं ।क्या कहेंगे ,एक ऐसा मरीज जिसके बारे में डॉक्टर कहें कि वो बेहद तकलीफ में है और वो कहें कि वो बिल्कुल ठीक है । पैरों से लाचार मेरी सासु माँ जिनकी जीवंत उपस्थिति मात्र से मैं  हर तरह से खुद को मजबूत पाती हूँ ।तो ठीक ही है न
जिंदगी जिंदादिली का नाम है मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं ।