zएक कहावत है पीनेवालों को पीने का बहाना चाहिए उसी तरह मैं कहती हूँ रोनेवालों को रोने का बहाना चाहिए फिर चाहे वो जिस प्रकार का रोना हो ।कभी पैसों की तंगी का रोना हो,बच्चों की पढ़ाई का रोना हो ,बुढापे में बच्चों की बेरुखी का रोना हो,पारिवारिक जिम्मेदारियों या उनकी बीमारियों का रोना हो ।आपके बस एक बार पूछने के साथ उनका रोना शुरू । बैठे बैठे इतनी परेशानियों को सुनते सुनते अगर आप अमुक आदमी के पास एक घंटा बैठ गए तो वहाँ से हटने के कम से कम एक घंटे बाद तक आप पूरी तरह नकारात्मक ऊर्जा से भरे होंगे ।
मेरी रिश्ते की एक देवरानी बहुत सुंदर नहीं होने के बाद भी अपनी सदाबहार और अलमस्त हँसी के कारण मुझे प्रिय है उसका चेहरा भले ही सुंदरता की कसौटी पर खरा न उतरे पर अपने हंसी की मीठी चाशनी से वो अनायास ही सामने वाले को डुबो देगी ये मैं शर्तिया तौर पर कह सकती हूं ।मैं जिंदगी में व्यक्तिगत तौर पर दो लोगों से बहुत प्रभावित हूँ ,पहले मेरे पापा और दूसरी मेरी सासु माँ ।वैसे वर्तमान में दोनों ही शारीरिक रूप से काफी कष्ट में हैं लेकिन हिम्मत और जिंदादिली में किसी से कम नहीं ।मेरे पापा की एक आंख में बिल्कुल रोशनी नहीं है और दूसरी में बहुत कम इसके साथ लगभग बीस साल से वो हृदय रोगी होने के बावजूद पूरी ताकत से अपनी कमजोरियों को शिकस्त दे रहे हैं पिछले साल गंभीर रूप से बीमार थे लेकिन डॉक्टर के ये पूछने पर कि कैसे हैं ?छूटते ही जबाब दिया बिल्कुल ठीक हूँ ,मेरी ओर इंगित कर कहा ये घबड़ाकर मुझे यहाँ ले आई जबकि वो कई दिनों से बेहद बेचैन थे और डॉक्टर ने उनसे परे हटकर हमसे कहा ये फिलहाल बेहद तकलीफ में हैं । उसी तरह जब अपनी सासु माँ को देखती हूँ मन वेदना से भर उठता है कभी बड़े से कुटुंब का काम खुशी खुशी निपटाने के साथ साथ बाज़ार से हमारी फरमाइशी चीज़ों को लाने वाली आज दोनों पैरों से इस कदर लाचार है कि घर में भी वॉकर की सहायता से चलती है फिर भी इतनी जिंदादिल कि किसी विवाह या पर्व त्योहार में मात्र अपनी उपस्थिति से वातावरण की बोझिलता खत्म कर दे ।हमसब के साथ वो खुद भी जानती हैं कि उनके पैर अब ठीक नहीं हो सकते लेकिन हमेशा उनसे सुनती हूँ कि अगर मेरे पैर ठीक हो जाए तो मैं जरूर हर एक काम कर सकती हूं ।क्या कहेंगे ,एक ऐसा मरीज जिसके बारे में डॉक्टर कहें कि वो बेहद तकलीफ में है और वो कहें कि वो बिल्कुल ठीक है । पैरों से लाचार मेरी सासु माँ जिनकी जीवंत उपस्थिति मात्र से मैं हर तरह से खुद को मजबूत पाती हूँ ।तो ठीक ही है न
जिंदगी जिंदादिली का नाम है मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं ।
Thursday, 19 April 2018
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment