पिछले साल सितंबर 2020 से नए कृषि अध्यादेश के बाद किसानों की समस्या मुख्य धारा में आई जबकि हकीकत में एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 से लेकर अब तक किसानों के विरोधों में 5 गुना वृद्धि हो गई है । 2017 में 15 राज्यों और 9 केंद्र शासित प्रदेशों में यह संख्या 34 थी जो बढ़कर 2021 में 165 हो गई । आज देश में हर रोज किसान और कृषि मजदूर 28 किसानों के द्वारा किए गए आत्महत्याओं की संख्या बढ़कर 5959समें 4324 कृषि मजदूर शामिल थे यह एक दुखद प्रसंग है कि हमारे देश में दिनोंदिन कृषि मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है इनमें 52% प्रतिशत कृषि मजदूर सिर्फ बिहार केरल और पांडिचेरी में है।हाल के मात्र तीन वर्षों में किसानों के विरोधों में हुए पाँच गुना वृद्धि के यह कारण हो सकते हैं
,रीढ़ कही जाने वाली कृषि मजदूरों की किसानों की ऐसी क्या समस्या है कि हर दिन 28 किसान आत्महत्या क विरोध विरोधर रहे हैं जिसके मुताबिक 2019 में किसा ््क्षा््क् :- हमारेदेश में किसानों की अशिक्षा बड़ी भूमिका निभाती है जिसके कारण सरकार द्वारा दिए गए बैंकों ऋण संबंधी सुविधाओं को किसान समझ नहीं पाते और अक्सर महाजनों के जाल में फंस जाते हैं । महाजनों के द्वारा ऋण देने की दर काफी ऊंची रहती है वही उनकी किताब में भी काफी गड़बड़ी रहती है इसके द्वारा किसान मजबूरन के जाल में फंसते जाते हैं और और उनके गलत हिसाब के कारण किसानों की जमीन उनके हाथ में चली जाती है और वह किसान से कृषि मजदूर में बदल जाते हैं ।
2. सरकार की गलत ऋण देने की नीति स्वतंत्रता के बाद से कई पंचवर्षीय योजनाओं में ऋषि को प्राथमिकता दी गई और प्राय हर योजना में किसानों को ऋण देने की व्यवस्था की गई लेकिन कि सरकार की गलत नीतियों के कारण केंद्र सरकार के पारित होने के बावजूद वह रिंग किसानों की पहुंच से दूर ही रहे नतीजा यह हुआ की कई बार रेल लेने के बाद भी समझना पाने की स्थिति में किसान उन दिनों का भुगतान नहीं कर पाए और आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए।
3. बड़े व्यापारियों और दलालों का वध बढ़ता हुआ वर्चस्व कई सारी सरकारी योजनाओं के बावजूद किसानों की स्थिति कई दशकों के बाद ज्यों की त्यों बनी हुई है इसका मुख्य कारण बड़े व्यापारियों और दलालों का बढ़ता हुआ वर्चस्व है एक रिसर्च के अनुसार कृषि उत्पादों का मात्र 6% ही मंडी तक पहुंचाता है जिसका फायदा शाम को मिल पाता है और 94% उत्पाद या तो बड़े व्यापारियों के चला जाता है ऐसे में किसानों की स्थिति बनी रहती है।
4. नया किसान अध्यादेश जून 2020 में सरकार ने 3 नियम वाला नए किसान बिल के अध्यादेश को पेश किया जिसका पूरे देश के किसानों ने जमकर विरोध किया इस नए बिल में तीन बातें मुख्य हैं । पहले कानून के अनुसार जहां जहां किसानों को किसानों के साथ साथ व्यापारियों को भी आवश्यक वस्तुओं के संचयन की सुविधा दी गई है 1955 से पहले के बाद यह सुविधा केवल युद्ध और आपदा के समय ही थी ऐसे में किसानों का विरोध बढ़ने का की बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है । किसानों को इस बात का पूरा संदेह है की व्यापारी वर्ग आवश्यक वस्तुओं के संचयन के द्वारा किसान वर्ग को कृषि मजदूर बनने पर विवश कर देंगे।
इस अध्यादेश के दूसरे भाग को हम कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तौर पर देखा देख सकते हैं यह इस अध्यादेश का एक सकारात्मक पक्ष हो सकता है बशर्ते कि इसमें सरकार कुछ आवश्यक सुधार करें। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का सुझाव 2012 ईस्वी में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के द्वारा प्रस्तावित किया गया था इस नियम में सरकार के इस नियम की एक खराबी खानी है इसमें कृषि इसमें किसान और गांव के लोगों को शामिल नहीं किया गया अर्थात यह नियम बनाने से पहले किसी सर्वे रिसर्च के द्वारा गांव के गांव की स्थिति का ब्यौरा लिया जा सकता था अगर इसमें इसमें किसी विवाद हो किसान और कंपनियों के बीच विवाद होने के समय समझौते के लिए मंडी के अधिकारियों को शामिल ना कर मुखिया सरपंच आदि को शामिल करना किसानों के पक्ष में हो सकता है।
और जागता का:- हमारे देश म की अशिक बड़ी भूमिका निभाती कारण सरकार द्वारा दिए गए बैंकों ऋण संबंधी सुविधाओं को किसान समझ नहीं पाते और अक्सर महाजनों के जाल में फंस जाते हैं । महाजनों के द्वारा ऋण दर काफी ऊंची रहती है वही उनकी किताब में भी काफी गड़बड़ी रहती है इसके द्वारा किसान मजबूरन के जाल में फंसते जाते हैं और उनके गलत हिसाब के कारण किसानों की जमीन उनके हाथ में चली जाती है और वह किसान से कृषि मजदूर में बदल जाते हैं ।
2. सरकार की ऋण प्रदान की गलत नीति स्वतंत्रता के बाद से कई पंचवर्षीय योजनाओं में ऋषि को प्राथमिकता दी गई और प्राय हर योजना में किसानों को ऋण देने की रकम को बढ़ाई गई लेकिन गलत सरकारी नीतियों के कारण केंद्र सरकार से पारित होने के बावजूद वे ऋण किसानों की पहुंच से दूर ही रहे ।नतीजन कई बार ऋण लेने के बाद भी भुगतान की स्थिति से अनभिज्ञ किसान ऋण न चुका पाने की हालत में आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए।
3. बड़े व्यापारियों और दलालों का वध बढ़ता हुआ वर्चस्व कई सारी सरकारी योजनाओं के बावजूद किसानों की स्थिति कई दशकों के बाद ज्यों की त्यों बनी हुई है इसका मुख्य कारण बड़े व्यापारियों और दलालों का बढ़ता हुआ वर्चस्व है एक रिसर्च के अनुसार कृषि उत्पादों का मात्र 6% ही मंडी तक पहुंचाता है जिसका फायदा किसान को मिल पाता है और 94% उत्पाद या तो बड़े व्यापारियों के चला जाता है ऐसे में किसानों की स्थिति बनी रहती है।
4. तात्कालिक कारण नया किसान अध्यादेश जून 2020 में सरकार ने 3 नियम वाला नए किसान बिल के अध्यादेश को पेश किया जिसका पूरे देश के किसानों ने जमकर विरोध किया इस नए बिल में तीन बातें मुख्य हैं । इस विरोध के अनुसार पहले तो किसानों ने पूरे दिल्ली की बॉर्डर को अलग-अलग जगहों पर जुलूस और घेराबंदी के द्वारा प्रदर्शन किया वही बाद में 26 जनवरी को विरोध दिवस मना कर पूरे पूरे दिल्ली में ट्रैक्टर के द्वारा प्रदर्शन करना चाहा। पहले कानून के अनुसार जहां जहां किसानों को किसानों के साथ साथ व्यापारियों को भी आवश्यक वस्तुओं के संचयन की सुविधा दी गई है 1955 से पहले के बाद यह सुविधा केवल युद्ध और आपदा के समय ही थी ऐसे में किसानों का विरोध बढ़ने का की बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है । किसानों को इस बात का पूरा संदेह है की व्यापारी वर्ग आवश्यक वस्तुओं के संचयन के द्वारा किसान वर्ग को कृषि मजदूर बनने पर विवश कर देंगे।
इस अध्यादेश के दूसरे भाग को हम कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तौर पर देखा देख सकते हैं यह इस अध्यादेश का एक सकारात्मक पक्ष हो सकता है बशर्ते कि इसमें सरकार कुछ आवश्यक सुधार करें। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का सुझाव 2012 ईस्वी में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के द्वारा प्रस्तावित किया गया था इस नियम में सरकार के इस नियम की एक खराबी खानी है इसमें कृषि इसमें किसान और गांव के लोगों को शामिल नहीं किया गया अर्थात यह नियम बनाने से पहले किसी सर्वे रिसर्च के द्वारा गांव के गांव की स्थिति का ब्यौरा लिया जा सकता था अगर इसमें इसमें किसी विवाद हो किसान और कंपनियों के बीच विवाद होने के समय समझौते के लिए मंडी के अधिकारियों को शामिल ना कर मुखिया सरपंच आदि को शामिल करना किसानों के पक्ष में हो सकता है।
इस बिल के तीसरे भाग के रूप में अपनी फसल को कहीं भी देश में बेचने की सहूलियत सरकार के द्वारा दिन की जाने वाली दे दी जाने को देखा जा सकता है उसके अनुसार लोग अपनी फसल को कहीं से कहीं देख सकते हैं।
इंदौर इन सभी कारणों से किसान बिल किसानों की सहयोग विरोध की संख्या में अब तक 5 गुना वृद्धि हो गई है किसानों के द्वारा किए जाने वाले विरोध में अब तक दो मंत्री भी सामने आए हैं जिन्होंने अपने-अपने इस्तीफा के द्वारा किसानों के विरोध का समर्थन किया है।