Tuesday, 11 May 2021

कोरोना की दूसरी लहर अपने प्रचंड रूप में आ चुकी है ।  आपदा के साथ साथ आए दिन ऑक्सीजन, दवाओं और इंजेक्शन की कालाबाजारी और जमाखोरी की बात सुनती देखती हूँ खैर इन्हें किस  नेता का संरक्षण प्राप्त है या इनकेपीछे कौन सी राजनीतिक पार्टी काम कर रही है ये जानने में मेरी न कोई  दिलचस्पी है और न मैं राजनीति को समझती हूं ।लेकिन इन बातों से परे मैं अपने आस पास बहुत से ऐसी बातें हैं जिसका कारण मात्र लोगों की लालच और स्वार्थपरता है । कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेज और WFH को वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में शुरू की गई। जिसे विद्यार्थियों और ऑफिस के कर्मचारियों के द्वारा खुले दिल से अपनाया गया । धीरे धीरे कोरोना की अवधि बढ़ती गई और इसके साथ ही बढ़ती गई ऑफिस और स्कूल  प्रबंधन के द्वारा अपने मातहतों से अधिक से अधिक काम लेने की प्रवृत्ति ।मैं अन्य शहरों के बारे में नहीं जानती लेकिन मेरे शहर में विगत एक साल से प्राइवेट स्कूल शिक्षकों के वेतन में मनमानी कटौती की जा रही है ।इसके अलावा तो कई स्कूलों ने 50+ के शिक्षकों को एकाध महीने के वेतन के साथ निकाल भी  दिया ।मजे की बात यह है इसमें राजधानी के प्रतिष्ठित कहे जाने वाले प्राय सभी स्कूल शामिल हैं । शिक्षकों के कार्य के घंटों में किसी संडे का प्रावधान नहीं है ।  गौरतलब है कि कोरोना के घटते मामले के बीच इन शिक्षकों ने एक ही दिन में ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों की जिम्मेदारी भी निभाई थी । अब जरा स्कूल प्रबंधन की ओर गौर किया जाए । किसी भी स्कूल  ने इस अवधि में फीस न लेने का कोई प्रावधान नहीं रखा है ।इसके साथ अव्वल  तो राजधानी के छोटे से छोटे स्कूल भी ठोस आर्थिक आधार पर टिके हुए हैं ।  कोरोना काल में बहुत से स्कूलों ने guard ,चपरासियों और सफ़ाई कर्मचारियों की संख्या में  बेहद जरूरी को ही  कायम रखा है ।इसके साथ ही बिजली,साफ सफ़ाई पर होने वाले खर्च वर्तमान में पहले के मुकाबले  नगण्य है ।  ऐसे में जहां सभी स्कूल दोनों ही तरफ से कमा रहे हैं वहीं शिक्षक बेरोजगारी के लंबी कतार के कारण लगी हुई नौकरी किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहते हैं और किए जाने वाले किसी भी मनमानी को भुगत रहे हैं और नौकरी बचा पाने  के कारण किसी भी तरह से आवाज़ नहीं उठा पा रहे हैं । पिछले एक साल से इस महामारी ने वैसे ही पढ़ाई का खिलवाड़ बना दिया है जिसके साथ  विद्यालयों की इस गलत तरीके के कारण निश्चय ही शिक्षकों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।जिसका परिणाम बच्चों पर पड़ेगा। संभवत  इस संबंध में मेरी निर्भीकता का कारण मेरा किसी भी तरह से स्कूल से जुड़ाव न होना है । मैं जानती हूं मेरे इस प्रकार से लिखने का कोई लाभ नहीं ।लेकिन मैं फिर भी  लोगों से अनुरोध करती हूं कि आपदा में अवसर न ढूढ़ें । कोरोना काल में होने वाले मौत के बावजूद भी लोगों की गलत तरीके से धन संग्रह की प्रवृत्ति खत्म नहीं होती ।गीतकार शैलेंद्र के बोल"तुम्हारे महल चौबारे यहीं रह जाएंगे सारे ,अकड़ किस बात की है प्यारे "😢😢।

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