भारत में अगर कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो धान (चावल) लोगों का प्रमुख भोजन है । धान की खेती का इतिहास संभवत मानव सभ्यता के इतिहास के साथ ही जुड़ा है।दुनिया में धान के उत्पादन में चीन के बाद भारत दूसरे नम्बर पर आता है ।धान या किसी भी अन्य फसलों के विषय में मेरी सबसे पहली किसान भाइयों को यह सलाह है कि अमूमन हर जिले में सरकार की ओर से कृषि सहायक केंद्र मौजूद हैं जहां फसल संबंधी विषयों पर करीब करीब मुफ़्त सलाह दी जाती है ।वैसे इस तरह के निजी केंद्र भी हर छोटे बड़े जिले में मौजूद है । इन केंद्रों में किसानों को मिट्टी की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक के संबंध में जानकारी दी जाती है । बुआई से पूर्व मिट्टी परीक्षण करवानी चाहिए । धान की खेती के लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है । वैसे धान के उपज की अवधि110 दिनों से145 दिनों तक की होती है ।ये अवधि धान की किस्म पर निर्भर करती है। चूँकि धान की खेती में पानी बहुत जरूरी है इसलिए बरसात शुरू होने से बाद ही इसकी खेती शुरू करनी चाहिए ।वैसे अब समृद्ध किसानों ने बोरिंग के द्वारा बरसात वाली जरूरत को अपने साधनों से पूरा करने की कोशिश कर ली है ।प्रथम चरण के अंतर्गत बीजों के लिए सबसे आवश्यक होता है कीड़ों और दीमक से बचाव । इसमें गोबर का खाद हर जगह की मिट्टी के लिए उपयुक्त है लेकिन अन्य रासायनिक उर्वरकों को विशेषज्ञ की सलाह से ही डालना चाहिए जिससे कम लागत में अधिक फसल मिले ।ध्यान देने लायक बात है कि धान की खेती में कीटनाशक का प्रयोग कई चरणों में किया जाता है ।पहले चरण के अनुसार बीजों में फूल आने के बाद ही कीटनाशक का प्रयोग किया जाना चाहिए । वैसे तो किसी भी तरह की खेती के लिए मानव श्रम सबसे अधिक जरूरी है लेकिन जब बात धान की आती है तो इसमें बुआई से लेकर खर पतवार तक के लिए लोगों की काफी जरूरत पड़ती है। वैसे इस क्षेत्र में अब काफी प्रगति हो चुकी है और लोगों का काम मशीनों और खर पतवार के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है । धान के पौधों को भरपूर पानी की जरूरत होती है जो इसके फसल के दौरान बरसात से होने वाले बारिश के द्वारा पूरी होती है ।किसानों को मेरी यह सलाह है कि खेतों की तैयारी में मजबूत मेड़ों के निर्माण पर भी विशेष ध्यान दे क्योंकि इसका निर्माण फसल के रोपाई से पहले हो जानी चाहिए। आज वैज्ञानिकों ने धान के अनेक उन्नत किस्म के बीजों को उपलब्ध करवा दिए है । जो हमारे किसान भाइयों को उनके मेहनत का पूरा फल दे । पौधों की अवधि पूर्ण होने के बाद इसकी कटाई में भी सही समय का आकलन करना चाहिए ।वैसे युग ने नई करवट ले ली है और मशीनों की मदद से उन्नत खेती कर हमारे किसान भाई समृद्धि पा रहे हैं ।जरूरत है आज नई पीढ़ी के लोगों की ,जो तकनीकी रूप से शिक्षित होकर कृषि कार्यो के लिए आगे आए ताकि हमारा देश विभिन्न फसलों के मामले में आत्मनिर्भर बन सके ।
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