Friday, 7 May 2021

 कहते हैं मुसीबत आती है तो अपने साथ अपने रिश्तेदारों को लाती है ।कुछ समय पहले छोटी बेटी के कोरोना की तयशुदा अवधि को पार करने पर राहत की थोड़ी सांस ही ले पाई थी कि कल सवेरे सवेरे पतिदेव पैर की मोच के कारण सूजे हुए पैर के साथ बैठ गए ।कल का दिन घर के कामों के साथ साथ हल्दी चूना ,प्याज के सेक और क्रेप बैंडेज बांधते हुए बीता इसके अलावा जिस जिस ने फोन पर जैसी सलाह दी उसका अक्षरसः पालन किया ,लेकिन नतीजा जस का तस ।रात में माँ ने फोन कर बताया कि ठंडे और गर्म पानी से सेको वो भी किया लेकिन सासुमां के वॉकर पर लगड़ाते हुए पैर की स्थिति वैसी ही रही और इतनी तकलीफ के बाद भी कोविड के बढ़े हुए रूप के कारण दिनभर  हॉस्पिटल जाने की हिम्मत नहीं हुई  लेकिन आज सुबह हम दोनों ने करो या मरो के सिद्धांत पर LNJP हॉस्पिटल राजबंशी नगर जाने का फैसला किया जो कि बिहार सरकार के द्वारा हड्डी अस्पताल के रूप में विकसित किया गया है। वहां जाने से पहले हम काफी डरे हुए थे क्योंकि वहां कोविड की जांच और वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है लेकिन वहां से आने के बाद वहां की व्यवस्था और बरते जाने वाले ऐतिहात को 10 में 10 नहीं तो 9 नम्बर जरूर दिया जाना चाहिए। जहां जांच वैक्सीनेशन को अस्पताल से बिल्कुल अलग रखा गया है वही डॉक्टर से लेकर गार्ड ,नर्स और हर एक स्टाफ मास्क और जरूरी social distancing का पालन करते हुए दिखे । कोरोना की इस विभीषिका को हॉस्पिटल जैसी जगह पर बरती जानी वाली ऐसी सावधानी के द्वारा  निश्चित रूप से मात देंगे ।तो हम सब को सोचना पॉजिटिव है और  रिपोर्ट नेगेटिव लाना है।
सबसे बड़ी बात कि पैर में जोर से मोच ही   आई है शुक्र है भगवान का पैर सलामत है ।

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