Monday, 10 May 2021

कोरोना की दूसरी लहर अपने प्रचंड रूप में आ चुकी है ।  आपदा के साथ साथ आए दिन ऑक्सीजन, दवाओं और इंजेक्शन की कालाबाजारी और जमाखोरी की बात सुनती देखती हूँ खैर इन्हें कौन से नेता का संरक्षण प्राप्त है या इनके पीछे कौन सी राजनीतिक पार्टी काम कर रही है ये जानने में मेरी न कोई  दिलचस्पी है और न मैं राजनीति को समझती हूं ।लेकिन इन बातों से परे मैं अपने आस पास बहुत से लोगों को परेशान देखती हूं जिसका जन्म मात्र लोगों के लालच और स्वार्थ के कारण  ही हुआ है। इस तरह की आपदा के कारण ऑफिसों से लेकर स्कूल कॉलेजों में ऑनलाइन वर्क और ऑनलाइन क्लासेज की परंपरा शुरू हुई । यहां मैं  प्राइवेट स्कूलों से जुड़ी बातों की ओर  सबका ध्यान दिलाना चाहती हूं।इस संबंध में अन्य शहरों या कस्बों के बारे में मैं नहीं कह सकती अलR

लेकिन पटना के तमाम प्राइवेट स्कूलों में विगत एक साल से शिक्षकों के सैलरी को कोविड के नाम  कटौती की जा रही है ।यहां हैरानी की बात यह है कि राजधानी के तमाम प्रतिष्ठित स्कूल भी इनसे अछूते नहीं है । अगर शिक्षकों की काम के घंटों की ओर एक नजर डाली जाए तो अन्य ऑफिसों के WFH की तरह इसकी कोई सीमा नहीं, ध्यान देने की बात यह है कि पिछले साल कुछ समय के लिए स्कूल खुलने पर ये शिक्षक ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों सेवा दे रहे थे । अब ध्यान दिया जाए स्कूल प्रशासन की ओर । अव्वल तो शायद ही कोई 

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