Sunday, 29 May 2016

अपने दस दिनो के अवकाश के बाद आज पटना लौट रही हूँ।देहरादून की पूजा के बाद हमने नैनीताल और रानी खेत का कार्यक्रम बनाया ।चूँकि नैनीताल का प्रोग्राम अचानक से बना  तो  शुरू हो गई  टिकट की मगजमारी ।अंततः हमे  देहरादून से काठगोदाम  तक  का टिकट  स्लिपर क्लास मे लेना पड़ा ।घर से  हम  बेमन से निकले ।चूंकि  जगह  ठन्डी थी इसलिए गरमी की कोई  चिंता नही  थी । हम साफ सफाई और सहयात्रियो की ओर से सशंकित थे  ।लेकिन जहाँ हमारी ओर स्लिपर मे जाने का प्रश्न ही नही उठता  वही मै देहरादून से काठगोदाम जाने वाली ट्रेन  की सफाई  और  साथ के यात्रियो का आपसी सामंजस्य देखकर दंग रह गई  ।ना कही  गंदगी  और  ना अन्य  दिक्कते ।अगर  ईमान से कहूँ तो अपने  राज्य के लोगो के  प्रति मन तिक्त हो  उठा  ।तभी  एक ऐसी बात  हो  गई जिससे मै फिर  से  अपने बिहारी होने  पर गर्व से फूल उठी । दो  जगहो पर लोगो  ने इस बात पर  आश्चर्य  व्यक्त किया कि  ऐसा क्या है आपके बिहार मे  कि वहाँ के लोगो की मैथ्स  इतनी अच्छी होती   है ।अरे  इतनी मुश्किलो के बाद कैसे  वहाँ  के बच्चे  बैंक पीओ और   सिविल  सर्विस मे सफल हो जाते है ।बात तो  पते की  है ना ।

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