Sunday, 29 May 2016

आज मई दिवस है। समाचार पत्रों के किसी कोने मे शायद कही दिख जाए।जिन संस्थानों में आज रविवार की वजह से एक छुट्टी कट गई वो संभवतः अफसोस मना रहे होंगे। अब हम ना शहीद दिवस को याद करते है और ना मजदूर  दिवस के इतिहास के बारे मे जानते है क्योंकि अब हम वैलेंटाइन डे, फादर्स डे और ना जाने क्या क्या मनाने लगे है।आज नानाजी पंडित श्री गोविंद झा (मेरी सास के मामा और मैथिली के प्रख्यात विद्वान् ) का जन्म दिवस है। कुछ समय पहले मैंने उनकी एक रचना पढी उन्होंने कहा कि पहले के पुत्रआम के पेड़ की तरह थे और आज के पुत्र सुंदर फूल के पौधे की तरह है। आम के पेड़ से न केवल उसके मालिक बल्कि दूसरों को भी सहायता मिलती है। फल के साथ साथ छाया, लकड़ी हर तरह की सहायता उससे मिलती है । वही एक सुन्दर फूल के पौधे को देखकर आप खुद भी खुश हो सकते है और दूसरे को मात्र दिखा सकते है इससे ज्यादा आपको कुछ मिल नही सकता। यहाँ प्रश्न है कि हम अपने संस्कारों के द्वारा फूल के पौधे लगा रहे है या आम के। लेकिन अगर खुद हमारी ही पीढ़ी वैलेंटाइन डे और मदर्स-डे को बढावा देगी तो आम के पेड़ की चाहत बेकार है !

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