आज मेरी परी (दीदी की बेटी ) का जन्मदिन है ।हालांकि उसका नाम परी नही है लेकिन इतना तो तय है कि अगर आज की तारीख मे उसके नाम रखने की जरूरत होती तो मै उसका नाम परी ही रखती ।आज उसने इतनी अच्छी बात कही कि मेरा मन उसकी बातो को साझा करने का हो उठा । सुबह मैंने फोन करके उसे जन्मदिन की बधाई हो और उसे मेडिकल की सफलता का आशीर्वाद दिया ( चूंकि वो मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रही है ) ।छूटते ही उसने जवाब दिया कि " अरे ! पहले ये कहो कि एक अच्छा इंसान बनो ।" कितनी बड़ी बात !मेरा यह सोच है हममे से नब्बे प्रतिशत लोग बच्चे को दीर्घायु होने और उसके सफल शैक्षणिक भविष्य का ही आशीर्वाद देते है । लेकिन कितनी जरूरत है जिदंगी मे अच्छे इंसान बनने की ।आज जब अपने चारों ओर नजर घुमा कर देखती हूँ तो सिहर उठती हूँ ।उफ ! कैसी उच्च शिक्षा , पद और कैसा वीभत्स रूप ।मेरी माँ कहा करती है कि आज के सन्दर्भ में जब हम राक्षस का जिक्र करते है तो दिमाग मे दो सींग और बङे दाँतो वाला एक डरावनी छवि आ जाती है लेकिन अब भगवान् ने उस तरह के राक्षसों की बनावट बन्द कर दी है ।जब मनुष्य ही ऐसी नृशंस हो उठता है तो उस राक्षस को मात दे देता है ।
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