Sunday, 29 May 2016

गत 23मार्च को तमाम बिहारी अखबार बिहार दिवस के कार्यक्रम से भरे हुए थे और जिनकी गिनती राष्ट्रीय अखबारों में होती है वो क्रिकेट के नशे मे चूर ।अंततः खोजते हुए तीसरे पन्ने पर मैने भगत सिंह की छोटी सी तस्वीर और शहीद दिवस की एक सूचना ।शहीदों की शहादत का मोल हम मात्र राजनीतिक तौर पर ही करें। क्या संदेश दे रहे है हम अगली पीढी को ।ना वो प्रभात फेरी रही और ना  वैसा माहौल ।क्यूँ उम्मीद  करें हम अपने बच्चों से जब हम खुद ऐसी मिसालें पेश कर रहे हैं ?

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