Friday, 3 July 2020
श्रीमती वीना उपाध्याय ,यही नाम है जो खुद भी उच्च शिक्षित और एक IPS अधिकारी की पत्नी होते हुए छोटे तबके की महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने का सफल संचालन कर रही हैं ।श्रीमती उपाध्याय से मैं पिछले 8-10 सालों मेरी बेटी की अभिन्न सखी की माँ के रूप में परिचित थी जो ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के लिए काम करती थीं । इस लोकडौन के बाद जब मेरी बेटी मुंबई से आई तब मैंने वीनाजी के कार्यों की गंभीरता को महसूस किया ।आज बिहार की कला के नाम पर हमारे जेहेन में जो नाम आता है वो है मधुबनी पेंटिंग और भागलपुर के सिल्क उद्योग ।लेकिन वीनाजी का कहना है मेरे हिसाब से बिहार एक ऐसा राज्य है जिसके हर जिले में हस्तकला छुपी हुई है फिर चाहे वो पटना हो, बिहारशरीफ हो ,नालंदा हो ,बेगूसराय ही हो । वर्तमान में वीनाजी एक संस्था से जुड़ी है लेकिन उनका काम सिर्फ अन्य NGO की तरह ऑफिस तक ही सीमित नहीं है । इन बुनकर और अन्य हस्तकला के कारीगरों का पेट तो पूरे साल में एक दो मेले या प्रदर्शनी की आमदनी से तो नहीं भरता इसके अलावा जो बिक्री होती है उसका अधिकांश भाग बिचैलियों के हाथों में चला जाता है रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी परिणामस्वरूप ये लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच गए ऐसी स्थिति में वीनाजी जैसे अन्य लोगों ने इन कारीगरों को ऑनलाइन ट्रेंड करने की मुहिम उठाई इस काम में उन्हें सही ढंग से फोटोशूट करने से लेकर उचित मूल्य रखने के साथ साथ कुछ इस से ट्रेंड किया जा रहा है जिससे कोरोना संकट के बाद भी उनका भविष्य ठीक रहे ।
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