Saturday, 11 July 2020

मार्च के अंतिम सफ्ताह से हमारे देश में लोकडौन की अधिकारिक घोषणा की गई । नतीजतन सभी काम बंद हो गए और एक तरह से छुट्टियों की स्थिति आ गई । अब जबकि चारों ओर से सिर्फ नकारात्मक खबर ही आ रही थी तो इसे कुछ सकारात्मक रूप देते हुए अपने आप से मैंने लोकडौन के समय कुछ ऐसे कामों को करने का वादा किया जो मैं रोज़ की दिनचर्या में नहीं कर पाती थी ।सबसे पहले नज़र उन किताबों की ओर गई ,अकसर मैं पुस्तक मेले या अन्य किताब की दुकान पर किताब खरीदते वक़्त एक साथ चार पाँच खरीद लेती हूं और बाद में पढ़ते समय एकाध को भूल जाती हूँ ,मैंने इस अवधि में उन किताबों को खोज कर पढ़ने की सोची ।उसके बाद घर के कई ऐसे काम जो मैं भाग दौड़ में नहीं कर पाती हूँ उन्हें पति और बच्चों की मदद से करना मेरे दूसरे नम्बर पर था ।मेरी कई दोस्त या रिश्तेदार जिनके कामकाजी होने के कारण प्राय महीनों बात नहीं हो पाती है उन्हें फोन कर फिर से यादें ताज़ी करने की सोची पर आज की तारीख में एक नहीं दो दो लोकडौन खत्म हो गए बीच में दिनचर्या सामान्य होने के बाद फिर से  लोकडौन लगा दिया गया और मेरी स्पेशल लिस्ट ज्यों की त्यों रही ,हालांकि मैंने उनमें से कई किताबों को पढ़ा पर सबों को नहीं । उनमें से कई काम हुए पर सब के सब नहीं मेरे हिसाब से इन सबका का कारण समय की कमी या काम की अधिकता नहीं बल्कि मेरी टालने की प्रवृत्ति है । आप में से कई लोगों को शायद मेरे जैसी एकाध प्रवृत्ति हो और अक्सर काम को कल पर टालते हो ।जब तक ये आदत घरेलू कामों तक रहता है तब तक हमें एक झुंझलाहट भर होती है लेकिन जब ये आदत ऑफिस या कार्यालय के जरूरी काम पर पहुंच जाता है तो समस्या गंभीर हो जाती है । हम किसी भी काम के अंतिम तारीख का इंतजार क्यों करे चाहे वो बिजली बिल या insurance की प्रीमियम भरने की तारीख  हो या बैंक के एकाउंट सबंधित कार्य । कभी कभी इन कागजों संबंधी छोटी सी लापरवाही हमें बड़ा नुकसान दे देती है और हम इस आदत के कारण परेशानी में पड़ जाते हैं और एक के बदले दो के चक्कर में पड़ जाते हैं फिर चाहे वो नकद के रूप में हो या मेहनत के रूप में हो । कोई भी बड़ी समस्या तभी बड़ी हो जाती है जब उसे छोटे रहने तक ध्यान नहीं दिया जाता है । तो " काल करे सो आज कर आज करे सो अब ,पल में प्रलय आएगा बहुरि करेगा कब "को बदल कर "आज करे सो कल कर ,कल करें सो परसों इतनी क्या है जल्दी पड़ी अभी पड़े है बरसों " न करें उसे उसके मूल रूप में ही रहने दें ।

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