Wednesday, 8 July 2020
19जुलाई को पापा की दूसरी बरखी है इस कोरोना के कहर को देखते हुए घर में किसी भी बाहरी व्यक्ति को बुलाने की बात सोचना भी मना है ।हम दोनों बहन तो निश्चिंत है क्योंकि हमारे घर में ही जीमने के लिए ब्राह्मण मौजूद हैं ।समस्या तो भाई के लिए है क्योंकि अब वहां पूर्ण रूप से अब भी lockddown है और स्थिति बेहद खराब है खैर उसके लिए कोई न कोई रास्ता निकल ही जाएगा क्योंकि परिस्थिति हम आप जैसे लोग नहीं समझते हैं देवता और पितर हर परेशानी में हमारे साथ है ऐसा मेरा विश्वास है ।पापा की बरखी के साथ मुझे पापा के एक साल पहले बीमार होने की बात याद आई ।पापा की तबीयत ठीक नहीं ।ये सुन के मैं उन्हें देखने रांची गई ।संजोग की बात थी उसी समय मुंबई में जीजाजी की एक कठिन सर्जरी होनी थी इसलिए दोनों भाई बहन का वहां से आना मुश्किल था ।मैंने जब पापा की स्थिति को देखते मैं अपने साथ पटना ले आई । कुशल डॉक्टर के चिकित्सा में पापा महीने भर में ही ठीक हो गए लेकिन साथ ही डॉक्टर ने जल्दी ही इनके महाप्रस्थान की भविष्यवाणी भी कर दी जिंदगी देना किसी के हाथ में नहीं पर उसके बाद की एक साल की जिंदगी कुछ हिदायतों के साथ उनके लिए आसान हो गई । अब यहां बात आती है लोगों की ।हर दूसरा व्यक्ति मुझसे ये कह रहा था कि तुमने आलोक (मेरा भाई ) का काम कर दिया । अरे ऐसा क्यों क्या माता पिता के प्रति मेरा कोई
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