Wednesday, 28 February 2018

कुल दो दिन बचे हैं होली के ।लेकिन बीते चार दिनों से अखबार और सभी प्राइम चैनल के साथ साथ सोशल मीडिया की कवरेज श्रीदेवी ने ले ली ।पहली खबर जब हृदयाघात से मरने की मिली तो मन द्रवित हो उठा बाद में नशे की हालत में बाथटब में गिरने की वजह ने दया की जगह विरक्ति ने ले ली ।कल से आज तक टीवी के सभी न्यूजों पर श्रीदेवी की चर्चा और अब अंतिम यात्रा का सीधा प्रसारण ।उस पर हद तो तब हो गई जब उन्हें पूरे राजकीय सम्मान दिया गया और  त्रिरंगे में लपेटा गया ! मेरा यह प्रश्न है कि किसी को मरणोपरांत त्रिरंगे में लपेटने का मापदंड क्या है ? ऐसा करने से श्रीदेवी किसी शहीद की समकक्ष नहीं हो गई ?एक अभिनेत्री के अलावा भारत की तरक्की में उनका कौन सा राजनीतिक या सामाजिक योगदान रहा है जो उनकी तुलना किसी शहीद से हो  ।जहां तक मेरी जानकारी है भारतीय संस्कार को लात मारकर  उन्होंने अपनी गर्भावस्था के सातवें महीने में पहले से विवाहित और दो बच्चों के बाप से शादी रचाई ।करोड़ों की फीस वसूल कर फिल्मों की सुपरस्टार बनकर  अकूत संपत्ति बनाई ।फिर भी ,हे भारतीय जनता और मीडिया आप धन्य हो । ठीक ही कहा गया है "हर मरने वाला स्वर्गवासी ही होता है 😢😢"

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