Thursday, 5 July 2018

पिछले दिनों संजू नामक फ़िल्म अखबार से लेकर सोशल मीडिया और सभी बच्चे बड़े के ऊपर हावी है ।सुना है इस फ़िल्म ने सहज ही करोड़ों की कमाई का आंकड़ा पार कर लिया है । व्यक्तिगत तौर पर मैं बहुत कम फिल्में देखती हूँ इसलिए जब भी किसी नई चर्चित सिनेमा के संबंध में सुनती हूँ तो जानकारी के बाद ही देखना चाहती हूं ।एक ऐसा व्यक्ति जिसकी पूरी जिंदगी ही उसके कुकर्मों की वजह से  विवादों में घिरी हो ,जो अपनी माँ के मौत  से लेकर विदेश में शूटिंग जाते वक्त भी   नशे में डूबा रहता हो और  मादक द्रवों को तस्कर की तरह  रखता हो जो कभी गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने के कारण पकड़ में आता हो ।जिसने अपनी जिंदगी में तीन शादियों के बाद भी 300 से अधिक महिलाओं से संबंध बनाने की स्वीकारोक्ति किया  हो उसकी जिंदगी की कहानी ।मुझे इस प्रकार के पिक्चर बनाने वालों जितना क्रोध नहीं आता उससे अधिक तरस आता है हमारी  हिंदुस्तानी जनता पर जो पदमावत पर  बवाल मचाती है और इसे करोड़ों तक पहुँचाती हैं ।बायोपिक वाली फिल्मों में मैरी कॉम ,मिल्खा सिंह और धोनी जितनी उत्कृष्ट कही जाए ऐसी फिल्में उतनी ही निकृष्ट  हमारी जनता तो इतनी ही भावुक है कि उसने जयललिता को भष्ट्राचार के बावजूद देवी का दर्जा दे दिया । कल से लगातार संजू  को देखने की ज़िद को नकारने पर बेटी ने झल्ला कर  कहा कि चलो तुम परमाणु ही देख लो । pokhran nuclear test  पर बनी इस फ़िल्म ने मुश्किल से 55 करोड़ का आंकड़ा पार किया जबकि  इसमें हमारे देश के गौरव के साथ साथ स्वर्गीय ऐ पी जे अब्दुल कलाम के प्रति श्रद्धांजलि देने लायक बात थीं ।  भौतिकता
के इस युग में क्या हम युवा पीढ़ी को एक ऐसे देशद्रोही और बिगड़ैल जैसा बनने को प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं जो न तो कभी  अच्छा बेटा बना न अच्छा पति और अच्छे नागरिक की बात तो रहने ही दिया जाए

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