पिछले सफ्ताह बेटी को परीक्षा दिलवा कर दिल्ली से लौट रही थी ।उम्मीद के अनुसार ट्रेन लेट थी ।ट्रेन के अंदर सभी यात्री झल्ला रहे थे कुछ समय के बाद वजह समझ में आई कि जनरल बोगी में क्षमता से चार गुना लोग सवार हो गए हैं खैर लोगों को उतारा गया और ट्रेन चल पड़ी ।ऊपर की बर्थ पर एक 29-30 साल का नौजवान था उसने बातों ही बातों इन सारी समस्या की जड़ में कहा कि ऐसा इसलिए है कि ये ट्रेन बिहार की है इतना ही नहीं खुले तौर पर उसने बिहार की भर्त्सना शुरू कर दी ।मसलन बिहार में गंदगी है, बिहार में भष्ट्राचार है ,एडुकेशन सिस्टम फेल है और भी बहुत कुछ ।शक्ल सूरत और अपनी पहनावे के आधार पर वो अपने आप को दिल्ली या पंजाब का दिखा रहा था बॉगी में बैठे एक बुजुर्ग ने उससे सवाल किया कि आप कहाँ से हैं ?उसने कहा मैं दिल्ली की अमुक कंपनी में हूँ ।कुछ समय के बाद उस युवक का मोबाइल बजा और वो मगही में बात करने लगा उसके फोन रखते ही उन बुजुर्ग ने कहा आप जानते हैं कि आज बिहार की ये हालत क्यों हैं ?क्योंकि हमारे बिहार में आप जैसे लोग हैं जो अपनी ही जन्मभूमि के नाम लेने से हिचकते हैं ? भगवान न करें कल आपकी माँ किसी ऐसे रोग से ग्रसित हो जाए तो आप उन्हें भी पहचाने से इंकार कर देगें ।बात तो बड़ी कड़वी थी लेकिन थी सच्चाई ।वह युवक अपना सा मुँह लेकर जो अपने ऊपर के बर्थ पर गया वो पटना पहुंचने पर ही उतरा ।कहते हैं जननी औऱ जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है। आज हमारे बीच के बहुत से लोग नौकरी, विवाह और व्यवसाय के कारण बिहार से बाहर चले गए हैं औऱ परिस्थितिवश
वहां घर आदि खरीद कर वहीं बस गए हैं जाहिर है वहां उन्होंने जिंदगी बिताने का फैसला किया तो सुख सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया होगा उन्हीं में से चंद लोगों के लिए बिहार और बिहारी होना लज्जा की बात बन जाती हैं ।कभी बिहार अपनी हिंदी की वजह से ,कभी बिहार अपनी होली के कारण और कभी बिहार अपने स्लो सिस्टम की वजह से उन चंद लोगों की ओर से तिरस्कृत होता है और सभी लोगों के बीच वो लोग किसी दूसरे राज्य वाले से अधिक अपने राज्य की निंदा करते हैं ।मुझे किसी अन्य प्रदेश के लोगों की निंदा उतनी बुरी नहीं लगती जितनी इन बिहारियों की शिकायत । वैसे भी अपनों से मिली वेदना ही हमें अधिक सालती है । हम बिहारी और कुछ करें या न करें हमें लोगों की इज्ज़त करना बखूबी आता है फिर चाहे वो किसी दूसरे राज्य के लोग हो या कोई ऐसा मित्र वो बिहार से बाहर रहता हो । क़भी कभी मैं इन लोगों के बारे में सोचती हूँ तो लगता है कि इनकी स्थिति साँप छुछूुन्दर की है क्योंकि ये खुद बिहार की बुराई कर दूसरे राज्य की प्रशंसा करते हैं मतलब आप बिहारी बनना नहीं चाहते और आप लाख कोशिश कर ले दूसरे राज्य के लोग आपको अपना मानेंगे नहीं ।तो अपनी जड़ों से जुड़े रहिए और अपने और अपनो को हराभरा रखिए ।
Wednesday, 9 May 2018
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