Friday, 21 July 2017

मेरी छोटी बेटी अभी 12th में है और  तनाव में रहती है यूं तो अब तनाव तो छुटपन से ही बच्चों की आदतों में शामिल रहता है लेकिन वर्तमान में मेरी बच्ची के तनाव का कारण उसकी होने वाली बोर्ड परीक्षा के साथ प्रतियोगी परीक्षा है ।ये बात जनसाधारण को मालूम है किंतु उसके तनावग्रस्त होने की असली वजह मेरे परिवार के लोगों के साथ साथ चंद नजदीकी लोग ही जानते है ।तो उसके तनाव का कारण उसकी बड़ी बहन का अपने कैरियर का सेट हो जाना है ।ऐसे में गाहे बिगाहे वो अपनी तुलना अपनी दीदी से कर के अपने  कैरियर के लिए अतिरिक्त संशकित हो गई है । ये दो बहनें ,हर तरह से दो तरह की हैं ।जहां मेरी बड़ी बेटी खूब घुमक्कड़ और हर उम्र के लोगों से दोस्ती कर लेती है वहीं छोटी शांत और अंतर्मुखी है ।जहां बड़ी की दोस्तों को गिनने के लिए हाथ की उंगलियां कम पड़ जाती हैं वहीं दूसरी की गिनती की दो या तीन ही सहेलियां हैं ।संजोग की बात है कि दोनों ने बारहवीं के लिए एक ही स्कूल को  चुना । ऐसे में टीचर्स से लेकर जूनियर लड़कियां तक अनायास दोनों की तुलना कर बैठती हैं चूंकि बचपन में  कमोबेश इसी स्थिति से मैं गुजर चुकी हूँ तो छोटी की हालत समझना मेरे लिए आसान है  । किन्हीं दो लोगों का एक सा होना इस दुनिया में असंभव है फिर चाहे वो एक ही जनक की संतान क्यों न हो ।हमारे परिवारो  में दो पीढ़ी के बीच अलगाव का एक मुख्य कारण दोनों पीढ़ी के बीच तुलनात्मक विश्लेषण भी है । पुरानी पीढ़ी अपने काम और अपनी जीवन शैली को अधिक दुरूह मानते हैं जबकि नए लोगों को ये बात अपील करती है किे ठीक है  पुराने ज़माने में इस्तेमाल होने वाली रोज़मर्रा की वस्तुएं की जगह पर नई चीज़े हर लिहाज से सुविधापूर्ण हैं और बहुत सी ऐसी चीज़ें भी अब सहज उपलब्ध हैं जिनके बारे में पहले सोचा भी नहीं जा सकता था लेकिन प्रतियोगिता औऱ  कितनी ही अन्य परेशानियों के कारण पहले की तुलना में जिंदगी कई गुना ज्यादा  कठिन हो गई है ।और इस प्रकार की सोच को ही शायद जेनरेशन गैप का नाम देते हैं ।तो जहां तक मैं सोचती हूँ जिंदगी में तनाव तब  भी थे अब भी हैं कुछ बातें तबआसान थीं कुछ अब आसान हैं तो गलत क्या हैं ? तुलना ... फिर चाहे वो माँ बेटी में हो ,सास बहू में हो या बच्चों के बीच में ।परमपिता परमात्मा की बनाई हर कृति अपने आप में अतुलनीय हैं ऐसा मेरा विश्वास है .

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