Thursday 21 September 2023

पिछले दो हफ्तों से श्री विकास कुमार झा द्वारा लिखित पुस्तक "राजा मोमो और पीली बुलबुल "को पढ़ने में लगी हुई थी।देश के सबसे छोटे राज्य गोवा के विषय में इसे एक उत्कृष्ट पुस्तक के रूप में जाना जा सकता है। बचपन से लेकर इस किताब को पढ़ने तक गोवा के विषय में मेरी धारणा कुछ अलग किस्म की थी ।ज्यादातर लोग इसे नशाखोरी और हिप्पियों के अड्डे के रूप में ही जानते हैं लेकिन जब हम गोवा को किसी गोअन की दृष्टि से देखते हैं तो उसके एक अलग रूप से परिचित होते हैं।
    "मारियो मिरांडा "  गोवा के लौटोलिम गांव में रहते थे वो Times of India prakashn से बतौर कार्टूनिस्ट जुड़े हुए थे ।अपने बेटे के मनिपाल ले जाने के क्रम में लेखक का गोवा जाना हुआ और गोवा में वो  विश्व प्रसिद्ध  कार्टूनिस्ट मारिया मिरांडा के आवास पर जाकर मिले । हालंकि मिरांडा उन दिनों अपने दो दोस्तों के गुजर जाने से काफी दुखी थे लेकिन फिर भी उन्होंने श्री झा को अपना समय दिया।जब श्री मिरांडा ने जाना कि श्री झा ने कई उपन्यास लिखे हैं तो उन्होंने उनसे गोवा के विषय में लिखने को कहा उनका कहना था कि हर लिहाज से खुशगवार गोवा आज एक अलग तरह की समस्या से जूझ रहा है और वो है मोटापा । इस मोटापा के कारण उनका जीना मुश्किल है क्योंकि वे अपने दैनिक काम करने से भी लाचार हैं। महिलाओं में ये बीमारी अधिक देखी जा रही हैं लेकिन पुरुष और बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। गौर करने वाली बात ये है कि श्री झा के मिलने के कुछ दिनों के बाद ही श्री मिरांडा का निधन हो गया।इस दौरान श्री झा का अनेकों बार गोवा जाना हुआ और श्री मिरांडा से किया गया वायदा उन्हें बार बार याद आता रहा।इसी दौरान उनकी मुलाकात एक बेकरी चलाने वाली मां बेटी से हुई । दोनों ही अत्याधिक मोटापे से ग्रस्त थी लेकिन मां कई सालों से 24घंटे  बिस्तर पर ही रहने को लाचार थी ।श्री झा को श्री मिरांडा से किया गया वायदा याद आ गया और उन्होंने उनसे उनपर लिखने की अनुमति मांगी।कुछ झिझक के बाद उन्होंने नाम बदलने की शर्त पर इसकी अनुमति मांगी। 
सैंड्रा और उनकी मम्मी मिनि पर आधारित कहानी काफी रोचक है ।इस क्रम में आप कई बार उनके दर्द से भावुक हो जाते हैं। घटनाक्रम कुछ ऐसी होती हैं कि घर के ठीक बगल में "सैंड्रा फिटनेस सेंटर" के नाम से एक जिम खुल जाता है। पूर्वाग्रह से ग्रसित सैंड्रा इसे अपना मजाक बनाना समझती है जबकि यथार्थ कुछ और ही होता है। गोवा में चार दिनों तक चलने वाला कार्निवाल फेस्टिवल में किंग मोमो जो सैंड्रा का बचपन का साथी है वो उसे एक मनचाहा प्रिंस के पाने की दुआ देता है लेकिन अपने उम्र के चालीसवे साल में पहुंची अविवाहित सैंड्रा जिंदगी के प्रति  बिल्कुल हताश है लेकिन किंग मोमो की दुआ के अनुसार उसकी बुआ के द्वारा भेजा गया एक मेहमान विटामियो उसके सपनों का राजकुमार होता है जो उसकी जिंदगी की हर परेशानी का समाधान करता है ।
इस कहानी के साथ साथ चेरिल ,नेहरू पिमेटा , विश्वसुंदरी रीता फारिया और कई और किरदारों की कहानी से भी आप रूबरू होते है। लेखक श्री झा गोवा के साथ साथ पुर्तगाल के इतिहास के अच्छे जानकार हैं ये  बात इस किताब को पढ़कर आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं। जनसाधारण गोवा के क्रिसमस और नए साल के जश्न को ही जानता है लेकिन इसे पढ़ने के बाद ही आप गोवा के ऐसे वसंत ऋतु से वाकिफ होते हैं जिसमें कार्निवाल फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है जिसमें किंग मोमो के रूप में एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया के लोग आते हैं।छोटी सी पीली बुलबुल गोवा की राजकीय पक्षी है। विगत दो हफ्तों से मैं इस किताब को पढ़ते हुए वहां की सामाजिक और भौगोलिक क्षेत्र को जानते हुए गोवा के काफी करीब पहुंच गई । पुर्तगालियों ने मिट्टी और नदी के भविष्य को सोच कर ब्राजील की तरह गोवा में भी काजू की खेती शुरू करवाई वे जानना  भी काफी दिलचस्प है।काजू ,बादाम और धान के फसलों से भरपूर गोवा मेहनती किसानों से भी भरा हुआ है जो कई गांवो में हिंदु बहुसंख्यक के रुप में हैं ।जब आप इस तरह की किताब को पढ़ते हैं तो इसे एक झटके में किसी सामान्य उपन्यास की तरह नहीं पढ़ सकते हैं बल्कि इसे कोर्स की किताब की तरह समझकर पढ़ना श्रेयस्कर होता है। 
 

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