वहीं रांची में मेरे पापा के जाने के बाद मां का घरेलू सहायिकाओ के सहारे रहने के कारण हम तीनों भाई बहनों का रांची जाने का क्रम बढ़ गया है और वहां की हर यात्रा में कॉलोनी का हर तीसरा मकान तोड़ कर नया बनता दिखाई देता है। धीरे धीरे वहां की कॉलोनी के अमूमन सभी के बच्चे नौकरी और शादी के सिलसिले में बाहर निकल गए हैंऔर बूढ़े माता पिता जो अपने पुराने लेकिन शौक से बनवाए मकान में रहते हैं ।यह स्थिति कमोवेश प्राय हर जगह पर देखी जा सकती है । इस मामले में जिनकी दूसरी पीढ़ी संयोगवश माता पिता के साथ में रहती है उनके साथ इस तरह की समस्या नहीं आती ।
अब अगर इसी विषय को बेटे बेटियों की ओर से सोचा जाए तो उनके लिए ये समस्या काफी बड़ी है क्योंकि विवाह , परिवार और नौकरी के कारण उन्हें माता पिता को छोड़ कर दूर जाना ही पड़ता है और धीरे धीरे उनकी व्यस्तता बढ़ती जाती है नतीजन वो छोटी बड़ी बातों के लिए आ नहीं पाते है ,वहीं मकान को भी पुराने होने के बाद बार बार मरम्मत की ज़रूरत होती है ।इसके साथ ही कोई भी बड़ा घर बाद के वर्षों में बुजुर्गो के लिए रख रखाव के साथ साथ सुरक्षा के लिहाज से भी परेशानी का कारण बन जाता है। ऐसे में हाल के वर्षो में अपार्टमेंट बनाने वाले बिल्डरों के द्वारा लोगों के सामने एक अच्छा विकल्प रखा गया है भले ही कुछ लोगों को खुले और बड़े से घर में रहने के बाद फ्लैट में रहना पसंद नहीं आता है लेकिन जहां तक मैं सोचती हू व्यवहारिक दृष्टिकोण से इस मसले पर सोचा जा सकता है। जहां अपार्टमेंट्स आपको आपकी जरूरत के हिसाब से कई सुविधाएं देता है वहीं सुरक्षा के लिहाज से भी विचारणीय है।
तो बदली हुई परिस्थितियों के साथ बदलना कई बार अच्छा फैसला होता है वैसे भी हमारे मिथिला में कहावत है "नब घर उठे पुरान घर खसे" ।
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