Thursday, 5 March 2020

एक पुरानी कहावत है नीम हकीम खतरे जान मतलब अधूरे ज्ञान का ज्ञाता आपकी जान को खतरे में डाल सकता है । पहले के समय से ही  बहुत से लोग इधर उधर की जानकारी के द्वारा बीमारियों को ठीक करने की कोशिश करते हैं। बहुत सी चालू दवाईयां ऐसी होती हैं जिन्हें हम अपने मन से खा लेते हैं । उसके बाद बारी आती है प्राणायाम की बाबा रामदेव के साथ ही इस विद्या को मानने वालों में काफ़ी इजाफ़ा हुआ है उसके साथ ही चूँकि समय  इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है तो टीवी और सोशल साइट्स भी इसमें बड़ी भूमिका निभाने लगे हैं । आज किसी के भूत भविष्य और पर्व त्योहार के विषय में विभिन्न टीवी चैनलों पर आने वाले टीका धारी पंडित अच्छी तरह बताते हैं पर इन सबसे अधिक मेरे ख्याल से सबसे महत्वपूर्ण बातों पर ग़ौर करें । वर्तमान समय में जब से हमारे बीच स्मार्ट फोन और विभिन्न टेली कंपनियों ने मात्र 10 रुपए में भी नेट देने की व्यवस्था की है देश का हर दूसरा आदमी डॉक्टर बना जा रहा है ।कोई भी परेशानी हो ,गूगल पर सर्च किया और उस बीमारी के लक्षण से लेकर निदान तक पता लगा लिया ।इसके अलावा wp और फ़ेसबुक भी किसी प्रकार की जानकारी के लिए आसानी से उपलब्ध है ।कुछ दिन पहले मैंने किसी अखबार में पढ़ा कि अमुक स्थान में किसी महिला ने अपने fb ग्रुप की सदस्यों की सलाह को अपने डॉक्टर की सलाह से ज्यादा भरोसेमंद मानते हुए बीमार बेटे को दवा नहीं दी क्योंकि उसके fb वाले दोस्तों का कहना था कि उन्होंने इस दवा के साइड इफेक्ट्स को नेट पर देखा है भले ही दवा के नहीं देने की स्थिति उस महिला ने अपना बच्चा खो दिया । आपको अपने आस पास अनेकों ऐसे लोग मिल जाएंगे जो कि net की जानकारी के साथ साथ कई अन्य बीमारियों का निदान चलते फिरते बता देंगे यहां ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो high bp और शुगर की दवाईयों से बचने के लिए नमक और चीनी की मात्रा को अपने भोजन में से  सहज ही कम कर लिया हैं जो सर्वथा गलत है ।हमारे बीच आज भी  कई ऐसे वृद्ध हैं जो सामान्य भोजन और एक स्वस्थ दिनचर्या के साथ बिना किसी बीमारी के जिंदगी बिताई है । एक कहावत के अनुसार दवा खाने से अच्छा परहेज करना है लेकिन अति तो हर चीज की बुरी होती है । net की जानकारी ठीक है  जहां तक इसपर अमल करने की बात है वो बिना किसी डॉक्टर की सलाह के नहीं होनी चाहिए ।इस बारे में मेरे एक परिचित डॉक्टर का कहना है कि पहले हमने मेडिकल कॉलेज की इतनी लंबी पढ़ाई की फिर समय समय पर विशेष डिग्रियों को हासिल किया जिसमें समय ,मेहनत और धन तीनों लगाया लेकिन आज कोई भी नेट सर्च कर हमें बेवकूफ साबित करना चाहता है ।मैं नहीं कहती कि डॉक्टर हमेशा सही होते हैं बल्कि आज जिस प्रकार से कई डॉक्टरों ने पैसों के लिए मरीजों के प्रति असहिष्णुता को अपनाया है ऐसे में लोगों का डॉक्टरों के प्रति विश्वास में काफी कमी आई है अर्थात डॉक्टर भगवान होता है ये धारणा खंडित होती जा रही है लेकिन इसका निदान नेट सर्च कर नहीं निकाला जा सकता है बल्कि  किसी एक पर विश्वास नहीं होने की स्थिति में हम किसी दूसरे डॉक्टर की सलाह लें तो बेहतर होगा।

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