Thursday, 20 February 2020
हिन्दू धर्म के अनुसार जीवन से मृत्यु तक के कर्म के लिए किसी न किसी देवी देवता को जिम्मेदार ठहराया गया है मसलन इस सृष्टि के सृजन, पालन और संहार कर्ता के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का नाम लिया जाता है ।इसी तरह अगर किसी को स्वास्थ्य और शारीरिक रोगों से मुक्त होना हो तो उसे सूर्य देव की आराधना करने की सलाह देते हैं। इसी तरह से देवियों को भी अलग क्षेत्र दिया गया है।जैसे शक्ति, विद्या और धन के लिए भी क्रमशःदेवी दुर्गा, देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी की पूजा करने प्रावधान है । बचपन से जब तक हमारा विद्यार्थी जीवन रहा, हमें हमेशा देवी सरस्वती की आराधना करने को कहा जाता था इसके साथ हम ऐसा सुनते थे कि देवी सरस्वती का स्थान हमेशा ही देवी लक्ष्मी से ऊपर है जिसके पास सरस्वती की कृपा होती है देवी लक्ष्मी को उसके पास मजबूर होकर आना ही पड़ता है ।देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी की कथा बरसों से चली आ रही है लेकिन हाल के वर्षों में मैंने बड़ी तब्दीली देखी है । बच्चे के नर्सरी के क्लास से ही आपको यथेष्ठ धनराशि की व्यवस्था करनी होगी इसके साथ साथ जरूरी नहीं कि कड़ी स्पर्धा के दौर में बच्चे को मनचाहे स्कूल में एडमिशन मिल ही जाए ।इसके बाद मात्र डोनेशन की सहायता से ही आप किसी प्रसिद्ध स्कूल में डाल सकते हैं ।कुछ ही क्लासज के बाद उसे ट्यूशन और बड़े क्लास में जाने के बाद बच्चे को महँगे कोचिंग संस्थानों की जरूरत पड़ती है जो उसे उसके मनचाहे कैरियर चुनने में सहायक होते हैं। बात यही खत्म नहीं होती है कॉलेजों के चुनाव के बाद अगर आप मात्र विशेष क्षेत्र के कॉलेज जैसे IIM (या किसी अन्यMBA कॉलेज),Clat या डिजाइनिंग के सरकारी कॉलेजों की बात की बात करें तो ये खर्च आसानी से 15 से 18 लाख को पार कर जाता है । अगर बच्चे को अपनी योग्यता से सरकारी कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल सका और उसने निजी क्षेत्र के कॉलेजों को चुन लिया तो सहज ही ये राशि 25 से 30 लाख तक पहुंच सकती है जबकि इसमें मैंने निजी मेडिकल कॉलेजों की बात नहीं कही है ।अगर हम बच्चे को देश के प्रसिद्ध दिल्ली के सरकारी कॉलेज में मात्र स्नातक करवाने की सोचें तो कॉलेज की कम फ़ीस की भरपाई विद्यार्थियों की संख्या से कम होस्टल के कारण महँगी pg कर देगी इसके बाद अगर बच्चे ने आगे की पढ़ाई के लिए विदेशी शिक्षा का रूख कर लिया तो छात्रवृत्ति मिलने के बाद भी काफी रकम की जरूरत पड़ती है।कहने का तात्पर्य यह है कि आज के समय में किसी भी पढ़ाई को करने के लिए बच्चे का मेधावी होना ही काफी नहीं है इसके साथ ही बच्चे के माता पिता को कोचिंग और फीस के लिए अच्छी रकम की तैयारी जरूरी है । तो पहले वाली कहानियों से परे मुझे लगता है कि अब देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी में खासी मित्रता हो गई है दोनों ही एक दूसरे की पूरक बन चुकी है।
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