Friday, 14 February 2020

छाया गीत ,आपके अनुरोध या मनचाहे गीत ऐसे कितने ही नामों से मेरे साथ साथ उस समय के सभी लोग परिचित होंगे और नहीं सुनने की स्थिति में मिस करते होंगे।अगर आप हिंदी फिल्मी गीतों के शौकीन हैं तो निश्चित तौर पर रेडियो सीलोन के अमीन सयानी के साफ़्ताहिक बिनाका गीत माला के पायदानों को लेकर अपने दोस्तों से बाज़ी लगाई होगी ।जिसे सुनकर मुझे हमेशा अपने फौजी भाइयों से जुड़े होने का अहसास होता है ।इसके साथ ही अमूमन सभी पर्व के दिनों में उनसे जुड़े रेडियो के गीतों ने खूब सराहा होगा ।जी हाँ ,मैं विविध भारती और आल इंडिया रेडियो की बात कर रही हूं जो हमारे स्कूल और कॉलेज के समय का आल टाइम फ़ेवरेट था । जब भी मैं अपने बचपन के दिनों को याद करती हूं तो मेरी यादों में दूसरे चीजों के साथ साथ रेडियो की मधुर आवाज गूंज उठती है ।आल इंडिया रेडियो की आवाज के साथ जो प्रोग्राम की शुरुआत होती वो सुबह रंगावली ,चित्रलोक से होती हुई सुबह की सभा समाप्ति के साथ दोपहर और रात के ग्यारह बजे तक चलता । वो समय था चाबियों वाली घड़ियों का ।तो सुबह आठ बजे के समाचार के साथ सभी घड़ियों में चाबी भरीं जाती और उसके साथ ही हम स्कूल जाने की तैयारी करते ।समाचारों का महत्व तो उस वक़्त हमारे लिए नहीं था तो गानों के बीच पापा जब स्टेशन बदल कर प्रादेशिक समाचार सुनते तो हम बिल्कुल ही भन्ना जाते ।इसी बीच स्कूल पास कर मैं कॉलेज में पहुंच गई ,दीदी की शादी और भइया के पढ़ाई करने के लिए दिल्ली जाने के कारण घर में अकेली पर गयी ।इस दौर में रेडियो ने मेरे अच्छे दोस्त की भूमिका निभाई । समय के साथ साथ टेलीविजन घरों पर राज करने लगा उसी क्रम में vcp और CD player जैसे यंत्र आए उसी तरह रेडियो में FM जुड़ गए लेकिन समय के साथ साथ पता नहीं कब विविध भारती पीछे छूट गया । कुछ साल पहले बाजार में Caarva आया जिसमें 2000 से लेकर 5000 गाने दिए गए थे पर बात बिल्कुल जमी नहीं । विगत कुछ वर्षों से मैं अपने पुराने रेडियो के लिए लालायित रहती थी जो बिल्कुल साधारण हो जिसमें पेनड्राइव या ब्लूटूथ वाली विशेषताएं भी न हो और न तो Caarva की तरह HMV के सदाबहार गाने से भरा पड़ा हो और न ही FM की तरह शोर शराबों से भरा हो ।बस मैं उसे बिजली या बैटरी की सहायता से सुनूं ।यहां मैं जिक्र करना चाहूंगी हमारे शहर के बड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की दुकान का ,जब वहां बैठे 20-22 वर्षीय सेल्समैन से मैंने रेडियो दिखाने को कहा छुटते ही उसने पूछा ,रेडियो मतलब ? उफ ये नई पीढ़ी !लेकिन मेरी खोज कल जा कर पूरी हुई जब पतिदेव ने दसियों दुकानों में खोजने के बाद philips का वैसे ही पुराने ढ़ंग का रेडियो खरीद लिया ।यकीन मानिए उसे सुनकर मुझे ऐसा लगा कि मेरे स्कूल कॉलेज के दिन लौट आए हैं जब मैं इन गीतों के साथ पढ़ाई करती थींऔर यहां सबसे अच्छी बात यह है कि एकाध को छोड़कर सारे कार्यक्रम वही हैं फिर चाहे वो संगीत सरिता हो ,हेल्लो फरमाइश ! धन्यवाद विविध भारती ,धन्यवाद पति महोदय मुझे अपनी पुरानी यादों से जोड़ने के लिए।

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