Saturday, 21 March 2020

पिछले दो महीने से कोरोना नाम के दानव ने हमारे जीवन में प्रवेश किया है और लगभग एक महीने से लोगों में दहशत मचा दिया है ।आमतौर पर हमारी मानसिकता के अनुसार हम ये उम्मीद करते हैं कि अगर हम अस्वस्थ हैं तो लोग हमारा हाल चाल लें इसी बहाने हम कुछ समय के अपनी बीमारी को भूल जाते हैं । पिछले कुछ सालों में हमारे शहर में भी कुछ ऐसे अस्पताल खुल गए हैं जहाँ मानक समय से परे  रोगी से मिलने की वर्जना  होती है जोकि लोगों के  बीच आलोचना का विषय बनता है जबकि इस तरह की वर्जनाएं सभी पेशेंट के हित में ही कहा जा सकता है । लेकिन इस बीमारी ने तो पिछले सभी बातों को नकारते हुए लोगों के आपसी मेलजोल पर पाबंदी लगाने की बात कही और ऐसा नहीं करने पर भयानक परिणाम के रूप में चीन और इटली का उदाहरण पेश किया है  ऐसे में हम अपनी ओर से ऐतिहात बरते और सर्वशक्तिमान ईश्वर की आराधना करें कि वो हमें इस मुसीबत से बचाए ।मेरी ओर से पूज्यनीय हैं वे सभी स्वास्थ्यकर्मी,पुलिसकर्मी ,बैंककर्मी इमरजेंसी सेवा में तैनात तमाम ऐसे लोग जो अपनी जान को जोखिम में डाल कर हमारे लिए कार्यरत हैं ।अभी  के हालात में लगभग सभी दूर रह कर पढ़ने वाले बच्चे अपने अपने घर पहुंच चुके हैं और घर में रह कर परिवार के साथ अपना समय बीता रहे हैं ।लेकिन इन सब के साथ एक तबका उन बच्चों का है जो अपने माता पिता से दूर नौकरी कर रहे हैं और उन्हें WFH की सुविधा देते हुए कंपनी ने हेडक्वॉर्टर न छोड़ने की कड़ी ताकीद दी है ।मेरी बड़ी बेटी मुंबई में कार्यरत है और बीते सात दिनों से अपनी कंपनी की ओर से work from home के कारण घर पर है ।जिन दो लड़कियों ने उसके साथ फ्लैट साझा किया है उनका घर मुंबई से कुछ घंटों की दूरी पर है जिसके कारण वो अपने घर जा चुकी हैं ।जिस दिन से उसे कंपनी की ओर से वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मिली उसी दिन से उसने अपनी बाई को आने से मना कर दिया हमारी आने वाली पीढ़ी हर बात में हमसे ज्यादा जागरूक है इस बात को मैं मानती हूं ।ऑफिस या नितांत घरेलू संबंधों के अलावा  महानगरों में वैसे भी आपसी संवाद की कमी ही  रहती है ।मैंने कभी कही पढ़ा था कि किसी के लिए खाने से ज्यादा जरूरी बोलना है । इस प्रकार की स्थिति में बच्चे अपने अकेलेपन को मिटाने के लिए मॉल और इधर उधर घूमने का सहारा लेते हैं जो इस समय अप्राप्य हैं । इस तरह के समय में हमारा एकमात्र विकल्प मोबाइल ही बचता है दिन में कई कई बार वीडियो कॉल कर हम उसे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश करते हैं ।मुझे लगता है कि प्राय सभी घरों में  बच्चों से हमारी विवाद की एक बड़ी वजह मोबाइल फोन बनता है और आज यही फोन मेरे जैसी अनेकों माता पिता के लिए ऑक्सीजन का काम कर रहा है जिनके बच्चे उनसे हजारों किलोमीटर दूर घरों में कैद हैं ।किसी भी उपकरण को हम किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं मोबाइल इसका  उदाहरण है ।

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