पिछले साल एक शादी में गई थी लड़का किसी सरकारी विभाग में अच्छे पद पर आसीन था और लड़की पढ़ी लिखी घर के काम में दक्ष लेकिन ये आग्रह लड़के की ओर से किया गया था कि लड़की नौकरीपेशा न हो जबकि आजकल हर योग्य लड़का नौकरीपेशा लड़की चाहता है या हर लड़की अपने कैरियर बनाने के बाद ही शादी करना चाहती है ।ऐसे में इस तरह की शर्त से सभी हैरान । उस शादी में प्रायः सभी मेहमान उस लड़के की पारंपरिक और पिछड़ी सोच का दबे स्वर में आलोचना कर रहे थे लेकिन मैं इस मामले में लड़के के पक्ष में हूँ ।यहां मैं ये स्पष्ट
करना चाहूंगी कि न तो मैं औरतों के नौकरी के खिलाफ हूँ और न उसे किसी भी तरह पुरूष से कमतर आंकती हूँ बल्कि इस लड़के की स्पष्टवादिता ने मुझे काफी प्रभावित किया ।आज हमारे यहां लड़के लड़कियों की शादी की उम्र प्रायः पच्चीस के बाद की होती है जो कि फैसले के लिए यथेष्ट है ।आज कोई लड़की अपने मेहनत और अपने माता पिता के सहयोग के बाद ही अपने मनचाहे कैरियर को हासिल करती है औऱ उसके बाद ही उसकी शादी की बात सामने आती है तो प्राय लड़की की शादी में उसकी नौकरी को एक गुण के तौर पर देखा जाता है औऱ धूमधाम से शादी हो जाती है लेकिन इसके बाद वो नौकरी पेशा लड़की न तो आने वाले मेहमानों को समय दे पाती है और न ही घंटों की मेहनत से तैयार होने वाले परंपरागत पकवान बना सकती है ।साफ्ताहिक छुट्टियां उसके लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण होते हैं जितने किसी पुरूष के लिए ।ऑफिस की जिम्मेदारी मात्र शादीशुदा औरत होने पर किसी पुरूष से कम नहीं होती हैं ।तो जब लोग ऊपरी तौर से नौकरी करने वाली लड़की की सिफारिश करते हैं और दोहरी मानसिकता में जीते हुए उस लड़की से वैसी सारी उम्मीद लगाए रहते हैं जो किसी के लिए संभव तो परेशानी शुरू हो जाती है।लेकिन इस मामले में केवल लड़का या उसके माता पिता ही दोषी नहीं होते हैं कई बार अच्छे वर मिलने के कारण लड़की के माता पिता लड़की की नौकरी के फैसले को शादी के बाद लड़के लड़की के ऊपर छोड़ कर शादी करवा देते हैं और फिर जब बाद में घर में कोई भी परेशानी बढ़े लड़की को उसके पिता का हवाला दे कर नौकरी छोड़ने को कहा जाता हैं ।तो ऐसी स्थिति में आजकल कोई भी लड़की जिसने कड़ी प्रतियोगिता के दौर में अपनी नौकरी हासिल की हो उसके लिए घर गृहस्थी और नौकरी के बीच अपनी स्थिति संभालना असंभव हो जाता है ।आज अगर व्यक्तिगत तौर पर मेरी बेटियों की बात हो तो मैं भी अपने बच्चों के अपने कैरियर के प्रति की मेहनत देखकर कभी भी उसकी इच्छा के विरुद्ध काम छोड़ने की सलाह नहीं दूँगी इस मामले में मैं न सिर्फ अपनी बेटियों बल्कि अपने घर की भाभी या बहू के प्रति मेरे परिवारवालों को एक उदारदृष्टिकोण की सिफारिश करती हूं। यहां प्रश्न उठता है कि इस समस्या का समाधान क्या हो सकता है ? क्या लड़कियां नौकरी न करें या फिर शादी न करें ? लेकिन इन दोनों में से दोनों ही शायद असंभव है इसके समाधान के रूप में एकमात्र हल ये हो सकता है कि लड़का या लड़की शादी से पहले ही अपने आप को घरेलू काम काज या बाहर के काम की सीमा में न बाँधे अर्थात अगर कोई भी लड़का या उसके परिवारवाले किसी नौकरीपेशा लड़की को अपनी बहू बनाना चाहते हैं तो उन्हें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा ।बहुत सी ऐसी परिस्थिति होती है जो एक नौकरीपेशा लड़की चाह कर भी नहीं कर सकती ।अपने पढ़ाई और कैरियर के कारण ये नौकरीपेशा लड़कियां किसी भी घरेलू लड़की की तरह घर के कामों में निपुण नहीं हो सकती ।इस समय उसे अपने पति और उसके ससुराल वालों के सहयोग की काफी जरूरत होती है क्योंकि कोई भी लड़की घर और बाहर दोनों में हीे निपुण हो ऐसा सोचना हमारी मूर्खता है । इसी तरह लड़कियों को भी अपने व्यवहार के द्वारा अपने परिवार को समेटने की कोशिश करनी होगी क्योंकि अगर कोई औरत किसी मुकाम को पाने में सफल होती है तो उसका श्रेय उसके पूरे परिवार को जाता है और पति या पत्नी दोनों को आपसी तालमेल के। साथ आगे बढ़ना है
Thursday, 21 September 2017
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment