जब बचपन में किसी सहेली या भाई बहन से जोरदार लड़ाई हो जाती तो हमारे बड़े उस बात को खत्म करने के लिए कहते कि जिससे प्यार होता है उसी से तो लड़ाई होती है ।सौभाग्यवश उस समय हमारे भाई बहनों में मात्र सहोदर की ही गिनती नहीं होती थी ।अर्थात भाई बहनों की संख्या काफी होती थी ।एक बार फिर याद आती है जब गर्मी ,जाड़े या किसी के शादी विवाह के अवसर पर हम अपने ददिहाल जाते तो साधारणत माँ और चाची लोगों की परिधि रसोई तक होती और बाहर के बरामदे पर पापा सभी भाई बहन आपस में बातचीत करते ।ये बात चीत ,अकसर पॉलिटिक्स पर टिकी होती और कब ये तीखी बहस में बदल जाती उसका कोई ठिकाना नहीं और एक अंततः पैर पटकता वहाँ से चला जाता लेकिन मुझे ये बात बिल्कुल ही समझ में नहीं आती थी कि कल जिन दो लोगों में इतनी बहस हुई या शायद उस क्षण उन्होंने एक दूसरे का मुंह जिंदगी भर नहीं देखने का फैसला किया वो दूसरे ही दिन इतने समीप कैसे हो गए कि साइकल उठाकर साथ साथ घूमने को चले गए ! जहां तक रोजाना की बात है शादी होने के पहले तक हम तीनों(भाई बहन) के लड़ाई की भी कई बातें याद आती हैं । अब उसी लड़ाई ने चिढ़ाने का रूप ले लिया है वो भी बस जरा सभ्यता से ।वो शायद इसलिए की तीनों की मुलाकात की अवधि काफी संक्षिप्त रहती है । शायद उसी चिढ़ाने या झगड़े के कारण हम आज भी आपस में खुले हुए हैं ।ठीक यही स्थिति मैंने अपने ससुराल में भी पाया जहां काफी बड़ा परिवार , जब किसी भी विशेष पूजा या शादी विवाह के अवसर पर सभी जमा हुए घंटे दो घंटे में किसी एक या दो के बीच विवाद न हो ऐसा संभव नहीं और एक बार जब बात शुरू हो जाए तो फिर बात निकलेगी तो दूर चली जाएगी और परिणामस्वरूप घर वापस आने तक दोनों के मन में ढेर सारा गुस्सा ।लेकिन ये क्रोध दो चार दिनों में समाप्त और चाहे बात मेरे मायके की हो या ससुराल की जब तक अपनों के बीच तू तू मैं मैं होती रहीं आपसी बॉन्डिंग बनी रही अर्थात छोटे मोटे झगड़ों के बाद भी हम एक दूसरे के दुख सुख से बंधे रहे ।आपसी दूरी तब बढ़ गई जब लोग औपचारिक हो गए और आपस मे बात चीत कुछेक अवसरो तक सिमट गया । तो अब ये बात मुझे हर कदम पर याद आती है कि जिससे प्यार होता है तकरार भी उसी से होता है ।तो मेरी ये सलाह है कि चाहे भाई बहन हो या पति पत्नी आपस में बात करें झगड़े भी करें औपचारिकता न बरतें ।बस यहां एक बात अत्यंत स्मरणीय हैं कि कोई भी चीज़ उस समय विष बन जाता है जब उसकी अति हो जाती फिर चाहे वो आपसी प्रेम हो झगड़ा ।
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