छोटी बेटी को Exam दिलवाने बनारस जा रही हूं । अभी चार दिन पहले सासुमां हॉस्पिटल से घर आई हैं उन्हें सेवा शुश्रुषा की जरूरत है ऐसे में बेटी को लेकर जाना मुझे चिड़चिड़ा बना रहा है ।तंग आकर मैंने कहा इन यूनिवर्सिटीज वालों ने पता नहीं ऐसा क्यूं किया ।फॉर्म भरने के समय पटना को पहला विकल्प दिया था ।तो at least लड़कियों को तो अपने शहर का केंद्र देना था । क्यों ? हर जगह तो तुम्हें बराबर का हक चाहिए ,हम लड़कियां लड़कों से कहीं भी कम नहीं तो यहां क्यूं ? पति ने चुटकी ली । न चाहते हुए भी होठों पर मुस्कुराहट आ गई । हां ,बात में तो दम हैं ।वैसे स्वीकार करती हूं कि हम औरतें इतनी अवसरवादी होती हैं कि जहां अपने फायदे की बात होती है चट से इसे ढाल बना लेती हैं ।फिर चाहे वो बैंक की लाइन हो ,भीड़ से भरी बस या ट्रेन में सीट पाने की बात हो।
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