'प्रतिपन' ,"स्वाछन",मैंने अकसर अपने घर के विशेष पूजा के अंत में दान देने के समय दान देने वाले औऱ दान लेने वाले को इन दो मंत्रों का उच्चारण करते हुए सुना है इन मंत्रों के शाब्दिक अर्थ की गूढ़ता के बारे में मैं नहीं जानती लेकिन मेरी सोच के अनुसार वो दान करने और उसके ग्रहण करने की एक औपचारिकता को व्यक्त करती है । वैसे कुछ भी हो ये प्रथा सदियों से चली आ रही एक
ऐसी भावना को व्यक्त करने की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है जो शायद हमारे दैनिक जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है । कभी मात्र संबंधो को निबाहने की खातिर ,कभी किसी विशेष के प्रति स्नेह के कारण और कभी किसी और विशेष कारण से दोस्तों और रिश्तेदारों को अकसर हम भेंट , खाने पीने की चीज़ें और न जाने क्या क्या उपहार स्वरूप देते हैं और भेजते हैं ।जमाना आधुनिक तकनीक का है तो अब इस तरह की सुविधा का जिम्माonline booking औऱ courier ने भी ले लिया है । किसी को भेज कर या उपहार देकर हम जितने खुश होते हैं उससे अधिक जिज्ञासा हमें अमुक व्यक्ति की उस उपहार के प्रतिक्रिया जानने की होती है । अंग्रेजो की अन्य बातें चाहे जैसी भी हो लेकिन जिस तरह से वे किसी के प्रति धन्यवाद जताने और व्यवहार निभाने में जिस वाकपटुता का परिचय देते हैं निश्चय ही लाजवाब है । याद आती है अपने कॉलेज के जमाने की एक निकटस्थ सखी जो अपने अपनी सुहृदयता की वजह से आज तक मेरी यादों में बनी हुई है अब तक मेरे साथ साथ जिस किसी ने उसे कुछ भी दिया उसके धन्यवाद देने के तरीके से अभिभूत हो उठा । दी हुई वस्तु कैसी तुच्छ क्यों न हो उसके व्यवहार से हमें ऐसा लगता था कि ये उसके लिए अत्यंत उपयोगी है और वो जल्द ही खरीदना या बनाना चाहती थी ।वर्तमान में किसी पार्टी या पारिवारिक आयोजनो के बाद कई लोगों को मैंने फोन या अन्य सोशल मीडिया के द्वारा धन्यवाद देते भी देखा है जो औपचारिक होते हुए भी संबंधो को प्रगाढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाता है ।कई बार ऐसा होता है कि हम बड़े ही प्रेम से किसी को कुछ देते हैं और बदले में उसकी ठंडी प्रतिक्रिया से खुद को अपमानित या यूं कहें कि ठगा हुआ सा महसूस करते हैं । मेरी व्यक्तिगत ये अवधारणा है कि बचपन से ही बच्चे की शिक्षा ऐसी हो कि वो छोटी सी भेंट मिलने पर भी दी गई वस्तु का मूल्यांकन भौतिक रूप से नहीं वरन देने वाले की भावनाओं से जोड़कर करें क्योंकि दी गई प्रत्येक भेंट अमूल्य है और ऐसा न होने पर यही बच्चे कल शिक्षा या विवाह के कारण जब हमसे दूर होंगे तो निश्चय ही हमारी भावनाओं को भी आहत ही करेंगे ।
Sunday, 17 December 2017
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