Friday, 1 December 2017

कामाख्या की पूजा और शिलांग घूमने के बाद वापस लौट रही हूं ।टिकट कल सुबह की है लेकिन फोन से घर बात हुई तो पटना में एक जरूरी काम आन पड़ी ,सोचा कि चलो नेट चेक कर लूं अगर किसी ट्रेन में टिकट मिल जाए तो आज ही निकल लूं ।पहली बार में देखा ब्रह्मपुत्र मेल दो घंटे लेट है और AC 2 में चार टिकट उपलब्ध है ।बस अंधा क्या चाहे दो आंखे आपाधापी में टैक्सी में बैठे और चले गुवाहाटी रेलवे स्टेशन ।टैक्सी में बैठे बैठे टिकट बुक करने लगी ,अचानक देखा ट्रेन के राइट टाइम खुलने की सूचना के साथ टिकट अवेलेबल की संभावना खत्म ।जब स्टेशन पहुंच ही गए तो सोचा कि  हो सकता है कि कोई और ट्रेन मिल जाए ।पर देखा कि सूचना पट्ट पर ब्रह्मपुत्र मेल को दो घंटे लेट बता रहे हैं ।दौड़ कर काउंटर पर गई कि AC 2 में जगह खाली है हमारा टिकट बना दो । नहीं ,टिकट तो नहीं बन सकता क्योंकि कंप्यूटर पर शो कर रहे हैं कि ट्रेन जा चुकी है उन्होंने बताया। लेकिन यही बड़े से बोर्ड पर उसे लेट दिखा रहे हैं ।हाँ पर उससे नहीं होता ? रेलवे की लचर हालत पर क्या कहे और सोचे ।ट्रेने  खाली और अववैलिटी निल ।  खैर  दिक्कतो के बाद जब टिकट मिली तो ट्रेन चलने के बाद पता चला कि ट्रेन का रूट डाइवर्ट कर दिया गया है अब  लोगों की हालत बुरी।मेरे हिसाब से इसकी सूचना पैसेंजर्स को किसी भी तरह होनी चाहिए कोई  जवाबदेही लेने वाला नहीं । ये तो बात हुई किसी दूसरे राज्य  की।अब अगर  पटना जंक्शन की बात करूं तो व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं । नेट या बोर्ड पर शो करेंगे अमुक ट्रेन 5 न प्लेटफार्म पर आएगी और कुली या वेंडर कहेंगे 7 पर आएगी औऱ होगा वही जो कुली बताएंगे और स्थिति तो तब हद हो जाती है जब इस प्लेटफॉर्म  बदलाव  की सूचना ट्रेन आने से कुछ मिनट पहले दी जाती है । दूसरी  बदतर  स्थिति है कि हज़ारों किलोमीटर से सही टाइम ट्रेन बक्सर या आरा पहुंचने के बाद लोगों को रुला देती है न कोई announcement न ही रुकने की निर्धारित जगह ,घंटों तक गाड़ी किसी outer signal या खेत मे खड़ी ।न कोई बताने वाला और न ही कोई अन्य सूचना ।कभी कभी सड़ी हुई गर्मी में AC बंद और पानी तक बेचने वाले नदारद ।लोगों का रेलवे मंत्रालय का कोसना जारी वहीं जब अखबार हाथ में लेते हैं  तो  मालूम होता हैं अब तो हमारे यहाँ बुलेट ट्रेन चलने वाले हैं शायद इसी को कहते हैं "कौआ चला हंस की चाल .....😢😢😢

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