Wednesday, 1 February 2017

कुछ दिन पहले  सुबह कामवाली बाई अपने निर्धारित समय पर आई ,काम शुरू ही किया कि उसकी बेटी घबराई हुई सी आई ,"मम्मी चलो फिर से घर तोड़ने आया है ।तुरंत हाथ का काम छोड़ कर बाई चली गई ।मैं खड़ी खड़ी उसके जाने और उसके आगामी 4-5दिनों तक काम से अनुपस्थित होने का पूर्वानुमान लगाने लगी ।मन ही मन हिसाब लगाने पर याद गया कि कुल 5 महीने पहले ही कोर्ट के आदेश से बाई का घर  तोड़ा था ।कुल चार दिनों के छुट्टी करने के बाद बाई काम पर आई थी।आते ही मैंने अपनी मुफ्त सलाह दी ,एक छोटा सा घर किराया पर ले लो और आराम से रहो,मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा ,भाभी 2000 रुपए एडवांस देना ,घर बनाना है ।मैंने भविष्य को ध्यान में रखते हुए चुपचाप पैसे निकाल कर दे दिए ।दूसरे दिन काम पर आते ही उसने बताना शुरू कर दिया ,अबकी बार दो रूम बनवाया है,सामान रखने की भी काफी जगह है और न जाने क्या क्या !"लेकिन जमीन तो सरकारी है न" मेरी बात पर उसने कोई ध्यान नहीं दिया। अब फिर वही बात ,मैं दिन भर परेशान ,पता नहीं इस ठण्ड में क्या हाल होगा बाई और उसके बच्चों का ! शाम में बाज़ार जा रही थी ,उसकी बस्ती के बगल से जा रही थी देखा पूरा घर टूटा हुआ ,सारा सामान रोड पर ,वही मेरी बाई स्टोव पर शायद अंडा करी बना  रही है ,मोबाइल पर पूरी तेजी से गाना बज रहा है ,पूरा परिवार हँसी मजाक में लगा हुआ और मैं   सुबह से उसके लिए परेशान .....

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