Thursday, 5 January 2017

NH 31

अपने संक्षिप्त कटिहार यात्रा के बाद वापस लौट रही हूँ ।NH 31  के रास्ते हम जब बेगूसराय के पास पहुँचे तो पेड़ो की अंधाधुन कटाई से हैरान हो गए।पास के ढ़ाबे पर चायवाले ने बताया कि रोड चौड़ा किया जा रहा है लगभग सौ किलोमीटर तक अमूमन हजारों पेड़ो को काट दिया गया ।हम विकास तो चाहते है लेकिन क्या अपने विनाश की कीमत पर ! अभी पटना के बेली रोड के  पेड़ो के कटाव को देखकर आगामी गरमी की भीषणता से डर ही रही थी तभी इतनी बड़ी मात्रा में  जंगल के सफाया से रोंगटे खड़े हो गए ।पूरी यात्रा में कोई भी नदी (गंगा,कोशी,और गंडक )ऐसी नहीं जो अपनी पूर्ण अवस्था में हो । शायद सभी अपनी आखिरी चरण में है ।याद आ गया बचपन में पढ़ी GK  की किताब की बातें ,हमारा सबसे बड़ा दोस्त कौन- जंगल,बिहार की प्रमुख नदी- गंगा,कोशी ,गंडक...... ।न जाने कब हमारा दोस्त इतना पराया हो गया कि हम उसे बचाने के बदले खत्म करने पर तूल गए और नदियों को तो हमने नालों में बदलने की ठानी है ।

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