Thursday, 24 November 2016

बहुत दिन पहले स्कूल के मोरल साइंस के किताब में पढ़ी एक कहानी की याद कल अचानक से हो आई ।कहानी कुछ ऐसी थी कि एक पेशेवर मुजरिम को जज ने फाँसी की सजा सुनाते हुए उसकी आखिरी ख्वाहिश पूछी ।अपनी जिंदगी के आखिरी दिन उसने अपनी माँ से मिलने की इच्छा जताई ।जब जेल में माँ ने मिलकर उसे गले लगाया तो बेटे नेे पता नहीं कब से छुपाकर रखी छोटे से  चाकू से अपनी माँ की जीभ काट ली ।माँ तो पीड़ा से बेहोश हो गईं और उपस्थित जनसमूह ने धिक्कारते हुए बेटे से उसका कारण पूछा ,उस मुजरिम बेटे का जवाब सुनकर सभी की आँखे नम हो गई ।उसने कहा कि जब मैं बहुत छोटा था तो मैं एक दिन अपने पड़ोसी के बगीचे से एक कद्दू  चूरा लाया ,इस चोरी पर मेरी माँ खूब हँसी और पूरे घर को उसने सब्जी बनकर खिलाई ।इसके बाद मैंने जब जब किसी चोरी को अंजाम दिया ,अप्रत्यक्ष रूप से मेरी माँ ने मेरी पीठ थपथपाई जिसका नतीजा आज सबके सामने है ।
ये कहानी तो छोटी सी है लेकिन कल शाम बाजार में  एक बाइकर और एक बूढ़े रिकशा चालक की हुई नोक झोंक ने मुझे इस कहानी की याद दिला दी ।कल बाजार में शायद उन दोनों में मामूली सी टक्कर हो गईं और गर्म होकर उस बाइकर ने रिक्शा चालक के बाप को गाली देते हुए उसकी गरीबी  का जिम्मेदार बताया ।बात चूँकि बाप तक चली गयी थी इसलिए छोटी सी बात ने बड़ा रूप ले लिया। मैंने बात को शुरू होते हुए देखा था इसलिए यकीनन मैंने उस बाइकर की बदजुबानी को महसूस किया ।हर मनुष्य इज़्ज़त चाहता है । हम इज़्ज़त किसकी करते है ,मनुष्य की ,पैसों की या पद की ।अगर पद की,तो एक उम्र के बाद वो स्वतः  ही समाप्त हो जाता है  ।अगर पैसों की तो हाल के दिनों में हमने पैसों को मात्र एक रात में बेकार होते हुए देखा है ।
इस सृष्टि में माँ का पद बहुत महान है ।लेकिन हर  माँ अपने बच्चे  के जीवन की पहली शिक्षिका होने के साथ साथ उसकी आदर्श भी होती है ।आप कितने संस्कारी  है ये आपके बच्चे को देखकर जाहिर हो जाता है क्या हर माँ बाप की यह जिम्मेदारी नहीं की पहले दिन से अपने बच्चों को मनुष्य मात्र  की इज़्ज़त करना सिखाए।कोई भी अपराधी एक दिन में  नहीं बनता ।आज भी हमारे समाज में  बच्चे केअच्छे काम के लिए  पिता को धन्यवाद देते हैं वही ससुराल गई बेटी के गलत काम के लिए माँ को ही दोष देते हैं ।तो हर एक  माँ बाप का सतत प्रयास क्या अच्छे समाज का निर्माण करने में सहयोग नहीं कर  सकता !

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