Monday, 3 June 2024

कभी 80 के दशक में किसी प्रसिद्ध गीतकार ने एक इंटरव्यू में बताया कि हमारे कुछ सीनियर्स ने 60 से लेकर 70 तक के गीतों को हिंदी फिल्मों का स्वर्णिम युग कहा ।फिर जब हम 90 के दशक में पहुंचे तो 80 के गीतों को कर्णप्रिय और फिल्मों को बेमिसाल माना गया और फिर उस दौर के बीतने के बाद उसे अच्छा कहा गया ।ये  सिलसिला अब तक चलता जा रहा है अर्थात हम हमेशा अपने बीते हुए समय के फिल्मों और गीतों  को ही अच्छा मान रहे हैं। 
यहां बात सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है जीवन के हर क्षेत्र में ही लोग ऐसा करते और कहते आए हैं।कहने का अर्थ  हमेशा बीते हुए दिनों को याद अफसोस करना एक आदत सी बनती जा रही है। अगर थोड़ी देर के लिए हिंदी  फिल्मों या गीतों की ही बात हो तो क्या पहले की सारी की सारी  फिल्में अच्छी थी ? क्या आज भी कई गीत कर्णप्रिय नहीं होते ! निश्चय ही उस समय भी कुछ घटिया फिल्में बना करती थी और आज भी अच्छी फिल्में आती है।
यहां अगर अपनी बात करूं तो मैं भी इस भावना से अछूती नहीं हूं जब मेरे बच्चे छोटे थे तो मैं सोचती थी कि जब ये बड़ी हो जाएंगी तो सब ठीक हो जाएगा, धीरे धीरे बेटियां पहले पढ़ाई और बाद में नौकरी के लिए कई सालों से बाहर है तो हर वक्त उनकी चिंता रहती है तो अब लगता है कि पहले ही सही था, बच्चे कम से कम पास तो थे।
अक्सर fb या सोशल मीडिया पर पहले के घरों , गांवों और पारिवारिक एकता जैसी बातों की दुहाई दी जाती हैं।पहले के मुकाबले स्कूल कॉलेजों आदि में शिक्षा के गिरते स्तर पर विवेचना की जाती है लेकिन यहां मेरा कहना है कि क्या हमने हर क्षेत्र में उन्नति नहीं किया है ! क्या दूसरे सामाजिक आडंबरों पर खर्च करने की जगह आज माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करना सही नहीं समझते !  चाहे वो लड़की क्यों न हो ! आज पहले की तुलना में औरतों की स्थिति में जो सुधार आया है कुछ साल पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कितनी ही बीमारियों पर आज  नियन्त्रण पा लिया गया है। यहां संयुक्त परिवार का टूटना समय की मांग है जिसे हम नकार नहीं सकते।  हमारी पिछली पीढ़ियों की  कई गलतियों को हम भी झेल रहे हैं ।मसलन हमारी विशाल जनसंख्या हमसे दो ऊपर  पीढ़ी की देन है ।
    तो जहां तक मैं सोचती हूं कि जो वर्तमान है वही सबसे अच्छा है ।
"हर घड़ी  बदल रही है रूप जिंदगी,
छांव है कभी ,कभी है 
धूप जिंदगी ,
हर पल यहां जी भर जियो 
जो है समां कल हो ना हो।"

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